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जब मधु लिमये के खिलाफ बांका से उतरे राज नारायण

पटना : हार समाजवादियों की धरती रही है. यहां शायद ही कोई ऐसा आम चुनाव रहा है, जिसमें दूसरे प्रांत के मूल निवासी बिहार चुनाव में नहीं लड़ने आये हो. कई बार एक ही सीट पर दो दिग्गज नेताओं की टकराव भी देश-दुनिया में सुर्खियों में रहा. ऐसा ही वाक्या 1973 के उप चुनाव में […]

पटना : हार समाजवादियों की धरती रही है. यहां शायद ही कोई ऐसा आम चुनाव रहा है, जिसमें दूसरे प्रांत के मूल निवासी बिहार चुनाव में नहीं लड़ने आये हो. कई बार एक ही सीट पर दो दिग्गज नेताओं की टकराव भी देश-दुनिया में सुर्खियों में रहा. ऐसा ही वाक्या 1973 के उप चुनाव में बांका संसदीय सीट पर देखने को मिला.

समाजवादी नेता मधु लिमये बांका लोकसभा सीट पर 1973 में हुए उप चुनाव में उम्मीदवार हुए थे. उसके पहले यूपी में राज्यसभा के चुनाव में राजनारायण के नाममात्र वोट से पराजित हाे जाने के कारण सोशलिस्ट पार्टी मेे दो फाड़ हो चुका था. इसी नाराजगी के चलते मधु लिमये के खिलाफ चर्चित नेता राज नारायण ने बांका से नामांकन का परचा भरा.
दोनों ही तरफ से समाजवादी धारा के दिग्गजों का बांका में जुटान हुआ. लेकिन, चुनाव परिणाम जब आये तो मधु लिमये की जीत हो गयी. राज नारायण पराजित हुए और उनकी जमानत जब्त हो गयी.
मधु लिमये का बिहार से गहरा नाता रहा था. मुुंगेर लोकसभा का भी उन्होेंने दो बार प्रतिनिधित्व किया था. मुंगेर के सांसद होने के दौरान ही एक आंदोलन की अगुवायी करते समय उनपर पुलिस ने लाठी चला दी थी. जिसके चलते उनके पैर मेे चोटें आयी थी.
  • समाजवादियों की धरती रही है बिहार दूसरे प्रांतों के निवासी भी यहां से लड़े चुनाव
  • राज नारायण पराजित हुए और उनकी जमानत भी जब्त हो गयी
  • मधु लिमये की राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से ही हुई थी
मधु लिमये की राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से ही हुई थी. लेकिन , बाद के दिनों में वो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये. पूणे के प्रसिद्ध फरग्यूशन कालेज के पढ़े मधु लिमये तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी लोकसभा के सदस्य हुए थे. छठी लोकसभा का चुनाव 1977 में हुआ था.
मधु लिमये को बांका संसदीय सीट पर उम्मीदवार बनाया गया. बांका का इलाका भी समाजवादियों की प्रयोग भूमि रही थी. दूसरा जय प्रकाश आंदोलन के बाद पूरे देश में जनता पार्टी के पक्ष में हवा बनी थी. बिहार भी इससे अछूता नहीं था.
मधु लिमये तीसरी लोकसभा में मुंगेर संसदीय सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते. इस दौरान वो 1964 से 67 तक लोकसभा के सदस्य रहे. चौथी लोकसभा में भी मधु लिमये मुंगेर से ही उम्मीदवार हुए और उन्हें भारी जीत मिली.
पांचवी लोकसभा में मधु लिमये को बांका से उम्मीदवार बनाया गया. इस बार भी उन्हें जीत हासिल हुई. अंतिम बार मधु लिमये जनता पार्टी की टिकट पर बांका से उम्मीदवार बनाया गया. इस बार वो रिकार्ड वोट से जीत हासिल हुई.
समाजवादी धारा में मधु लिमये का बड़ा कद था. चौथी लोकसभा के कार्यकाल में वे सोशलिस्ट ग्रुप के लीडर रहे थे. 1953 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का संयुक्त सचिव बनाया गया.

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