पटना : बिहार की राजनीतिक नजदीक से समझने वाले राजद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने हाल में जदयू का दामन थामने वाले नेताओं को हितोपदेश की कहानी सुनाते हुए, कुछ संदेश दिये हैं और साथ में कुछ सलाह भी. शिवानंद तिवारी ने सभी नेताओं को कहा है कि इन नेताओं की वह गति न हो, जो नीतीश के शिकार अन्य नेताओं की हुई है.
उन्होंने कहा है कि हितोपदेश की पुरानी कहानी है. शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, दाना डालेगा, फंसना मत. लेकिन इसके बावजूद लोग फंस ही जाते हैं. जैसे बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी अभी नीतीश कुमार की जाल में फंस गये. उन्होंने कहा है कि अशोक के सामने उदय नारायण चौधरी का नजीर था. उन्होंने कहा है कि उदय नारायण चौधरी जी ने नीतीश की माया में क्या-क्या पाप नहीं किया. आठ विधायकों की सदस्यता तक समाप्त किया. अगर उन विधायकों की सदस्यता नहीं गयी होती, तो बहुत मुमकिन था कि राज्यसभा के तत्कालीन चुनाव में नीतीश के उम्मीदवार हार गये होते.
उन्होंनेआगे कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी बुरी तरह परास्त हुई थी. तीसरे स्थान आ गयी थी. उनकी तथाकथित धवल छवि को उस चुनाव में जनता ने खारिज कर दिया था. राज्यसभा के चुनाव में अगर पराजय हो गया होता, तो शायद उनकी पार्टी नहीं बचती.शिवानंदने कहा है कि कह सकते हैं कि आठ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर उदयनारायणचौधरी ने नीतीश कुमार की राजनीति को बचा लिया था. उन उदय नारायण चौधरी की क्या गति नीतीश जी ने किया है, इसको देखते हुए अशोक कैसे उस आदमी के जाल में फंस गये.
उन्होंने कहा है कि अगर फेहरिस्त बनायी जाये तो दर्जनों ऐसे लोग मिलेंगे जिनको नीतीश ने गुमनामी के अंधेरे में ढकेल दिया है. आज उनका अता-पता नहीं है. हम लोंगो के मजबूत साथी और समता पार्टी की स्थापना काल से जुड़े दिग्विजय सिंह तो इनसे संघर्ष में दुनिया ही छोड़ गये. शिवानंद ने कहा है कि अशोक को लंबे अरसे से जानता हूं. मेरी कामना है कि उनकी वह गति न हो जो नीतीश के शिकार अन्यनेताओं की हुई है. हालांकि, शिवानंद तिवारी ने यह सलाह एक वरिष्ठ राजनेता होने के नाते अशोक चौधरी को दी हो, लेकिन राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की यह सलाह जदयू में टटका शामिल हुए अशोक चौधरी कितना मानते हैं, यह देखने वाली बात होगी.
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