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भारतवंशी अभिजीत को अर्थशास्त्र का नोबेल

स्टॉकहोम : भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (58) को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है. उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (47) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रो माइकल क्रेमर (54) को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है. 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के […]

स्टॉकहोम : भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (58) को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है. उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (47) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रो माइकल क्रेमर (54) को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है. 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया.

अभिजीत से पहले, 1998 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को यह सम्मान दिया गया था. बनर्जी व डुफ्लो अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं, जबकि क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विकासशील समाज के गेस्ट प्रोफेसर हैं.
तीनों अर्थशास्त्रियों को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिये’ के लिए पुरस्कार दिया गया है. राॅयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस के मुताबिक अभिजीत के रिसर्च की बदौलत भारत में 50 लाख बच्चे गरीबी रेखा से बाहर आये. स्वास्थ्य सेवाओं में सब्सिडी देने संबंधी सुझाव से कई देशों के गरीबों को राहत मिली.अभिजीत का जन्म कोलकाता में हुआ. उनके पिता प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे. मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं.
अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की. अर्थशास्त्र में एमए के लिए जेएनयू आ गये. साल 1988 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की. अर्थशास्त्र पर लगातार लेख लिखने वाले अभिजीत बनर्जी ने चार किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला. अभिजीत ने दो डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी सेवाएं दी हैं. अभिजीत और उनकी पत्नी डुफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) के को-फाउंडर भी हैं. बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं. दोनों ने गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में बंधन बैंक के साथ काम किया है.
वैश्विक गरीबी को दूर करने के लिए कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है. गरीबी का कारण भी एक नहीं है. जरूरत उन सभी विषयों से रू-ब-रू होने और उनके समाधान की है. -अभिजीत बनर्जी
21 साल बाद किसी भारतीय अर्थशास्त्री को यह सम्मान
अर्थशास्त्र में जेएनयू से एमए किया, हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी
अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
अभिजीत के रिसर्च के कारण भारत में 50 लाख बच्चे गरीबी रेखा से बाहर आये
भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण के क्षेत्र में काम किया व नरेगा प्रोजेक्ट से जुड़े रहे
डुफ्लो नोबेल के लिए चुनी गयीं सबसे युवा इकोनॉमिस्ट
अभिजीत की पत्नी डुफ्लो अर्थशास्त्र का नोबेल पानेवाली दूसरी महिला होने के साथ यह पुरस्कार पानेवाली सबसे कम उम्र की अर्थशास्त्री भी हैं. उनका जन्म, 1972 में पेरिस में हुआ था. डुफ्लो ने हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन के बाद 1994 में पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री हासिल की. एमआइटी में अभिजीत की देखरेख में ही अपनी पीएचडी पूरी की. 2015 में दोनों ने शादी की.
यह सम्मान बताता है कि एक महिला के लिए सफल होना और उस सफलता के लिए पहचान मिलना संभव है. मैं उम्मीद करती हूं कि इससे कई लोगों, महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी. -एस्थर डुफ्लो

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