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बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विवि में बीएड डिग्री घोटाले के बाद अब मेडिकल डिग्री घोटाला

मधेपुरा, प्रतिनिधि : भूपेंद्र नारायण मंडल विवि में मेडिकल डिग्री घोटाले की बात धीरे-धीरे सामने आने लगी है. सत्र 2016-17 के सभी मेडिकल परीक्षाओं की कॉपी का मूल्यांकन व पूर्णमूल्यांकन सवालों के घेरे में है. चूंकि वर्तमान कुलपति प्रो डाॅ. अवध किशोर राय ने मेडिकल कॉपी जांच के मामले में राजभवन से शॉकाज होने पर […]

मधेपुरा, प्रतिनिधि : भूपेंद्र नारायण मंडल विवि में मेडिकल डिग्री घोटाले की बात धीरे-धीरे सामने आने लगी है. सत्र 2016-17 के सभी मेडिकल परीक्षाओं की कॉपी का मूल्यांकन व पूर्णमूल्यांकन सवालों के घेरे में है. चूंकि वर्तमान कुलपति प्रो डाॅ. अवध किशोर राय ने मेडिकल कॉपी जांच के मामले में राजभवन से शॉकाज होने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 14 जुलाई को पत्र जारी कर परीक्षा नियंत्रक डाॅ. नवीन कुमार को निर्देशित किया था. एमबीबीएस सत्र 2016-17 में सभी परीक्षाओं का कॉपी मूल्यांकन एवं पूर्ण मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों का अनुमोदित सूची समर्पित करें. लेकिन, सात दिन बीत जाने के बाद भी कॉपी जांच करने वाले शिक्षकों की सूची अब तक कुलपति को समर्पित नहीं की गयी है.

इस संबंधित में कुलपति प्रो डाॅ. अवध किशोर राय ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक को कॉपी जांच के दौरान अपनायी गयी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी के साथ परीक्षकों के नामों की सूची समर्पित करने का निर्देश दिया गया है अगर सूची समर्पित नहीं की जाती है तो विवि प्रशासन अग्रतर कार्रवाई करेगी. गौरतलब है कि बीएन मंडल विवि में वर्षों पूर्व बीएड डिग्री घोटाले में तत्कालीन कुलपति सहित कई पदाधिकारियों को जेल जाना पड़ा था. अब आलम यह है कि मेडिकल डिग्री घोटाले का खुलाशा होने पर कई पदाधिकारियों को कार्रवाई होने के संकेत मिल रहे है.

उधर, विवि में चर्चाओं का बाजार गरम है. लोगों की माने तो विगत वर्षों में पूर्णगणना के नियम के बावजूद पूर्ण मूल्यांकन के माध्यम से करोड़ों का खेल हुआ है. लोगों द्वारा कहा जा रहा है कि पूर्णगणना में जो छात्र उत्तीर्ण नहीं हो सके उन्हें नियम के विरूद्ध ग्रेस मार्क्स देकर पास कराया गया है. लोगों ने कहा कि विवि इसकी सत्यता की जांच मेडिकल कॉपी व उसके सारणीय पंजी से कर सकती है.

आठ सौ छात्रों की कॉपी हुयी थी जांच
प्रभात खबर ने मेडिकल घोटाले की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर इस और विवि प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था. इसके बाद से परत दर परत इससे जुड़े मामलों का खुलाशा होने लगा है. गुरूवार को विवि से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2016- 17 में विवि अंतर्गत दो मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस फर्स्ट, एमबीबीएस सेकेंड, एमबीबीएस थर्ड एवं एमबीबीएस फोर्थ के करीब आठ सौ मेडिकल कॉपियों की मूल्यांकन व पूर्णमूल्यांकन करायी गयी थी. विवि से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉपी की जांच में हुयी गड़बड़ी की शिकायत होने पर जांच शुरू कर दी गयी है.

शिकायत में कहा गया है कि नियमों के तहत मेडिकल कॉपी का मूल्यांकन एवं पूर्णमूल्यांकन हुआ की नहीं. जांच के क्रम में यह बात खुल कर सामने आया कि मेडिकल की कॉपी मूल्यांकन व पूर्णमूल्यांकन के लिए पूर्व कुलपति के पटना स्थित आवास पर भेजा गया था. वहां से कॉपी की जांच कराय गयी.

सात दिनों के बाद भी परीक्षकों की सूची नहीं

मेडिकल डिग्री घोटाले पर वर्तमान कुलपति प्रो डाॅ. अवध किशोर राय काफी सजग है. उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए परीक्षा नियंत्रक से मेडिकल परीक्षा की कॉपी जांच के शिक्षकों की सूची समर्पित करने को कहा है. इससे स्पष्ट हो जायेगा कि परीक्षा का मूल्यांकन या पूर्णमूल्यांकन कहां हुयी और किस शिक्षकों ने कॉपी की जांच की. पूर्व के शिक्षक या नये शिक्षकों से कॉपी जांच करायी गयी उसकी सूची सात दिनों के बाद उपलब्ध नहीं कराया है.

उधर, विभिन्न छात्र संगठनों ने सूची सार्वजनिक करने की मांग करते हुए आंदोलन की बात कही है. छात्र संगठनों ने कहा कि कॉपी जांच के लिए ना तो कॉडिनेटर के पास गयी और ना ही परीक्षा बोर्ड से अनुमोदित परीक्षकों के पास. लेकिन सीधे पूर्व कुलपति के आवास पर कॉपी चली गयी और राजभवन ने सवाल खड़ा कर दिया है.

मामले में विवि का रूख सख्त
मेडिकल डिग्री घोटाले के मामले में विवि प्रशासन का रूख काफी सक्ष्त है. विवि सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार सात दिनों के बाद भी अगर जांच करने वाले शिक्षकों की सूची उपलब्ध करा दी जाती है तो विवि अन्य पहलूओं पर जांच कर सकती है. इसमें मुख्य रूप से जांच करने वाले शिक्षकों को भुगतान कैसे हुआ, कहां से हुआ और कब हुआ. शिक्षकों को कॉपी जांच के लिए जो रखा गया वह किस लेटर नंबर से उनकी नियुक्ति हुयी. यहीं नहीं भुगतान भी किस आदेश से हुआ इसकी जांच विवि कर सकती है.

इस प्रकरण के बाद पूर्व के मेडिकल छात्रों की डिग्री पर तलवार लटकने लगा है. विवि की माने तो अगर नियम नियम विरूद्ध मूल्यांकन, पूर्णमूल्यांकन या ग्रेस देकर रिजल्ट दिया गया होगा तो उन छात्रों के डिग्री रद्ध हो जायेंगे. हालांकि एमसीआई के नियमानुकूल अगर हुआ होगा तो उनकी डिग्री मान्य होगा.

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