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सस्ता होगा शताब्दी एक्सप्रेस का सफर, लेकिन…

नयी दिल्ली : भारतीय रेल कमाई बढ़ाने के लिए तरह-तरह की कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में एक खबर आ रही है कि अब सुपरफास्ट ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस का सफर सस्ता करने की तैयारी चल रही है. अब आप सोच रहे होंगे कि किराया घटाने से रेलवे की कमाई कैसे बढ़ेगी भला! दरअसल, मामला […]

नयी दिल्ली : भारतीय रेल कमाई बढ़ाने के लिए तरह-तरह की कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में एक खबर आ रही है कि अब सुपरफास्ट ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस का सफर सस्ता करने की तैयारी चल रही है. अब आप सोच रहे होंगे कि किराया घटाने से रेलवे की कमाई कैसे बढ़ेगी भला!

दरअसल, मामला यह है कि रेलवे शताब्दी एक्सप्रेस से कम दूरी के सफर का किराया घटानेजा रहीहै. एक अंगरेजी अखबार की खबर के अनुसार, रेलवे नहीं चाहता है कि कम दूरी के यात्री ट्रेन छोड़कर सड़क के रास्ते यात्रा करें और उसे नुकसान उठाना पड़े.

बताते चलें कि भारतीय रेल ने किराया घटाने का यह फैसला ऐसी ही दो ट्रेनों में इस प्रयोग की सफलता के बाद लिया. दोनों ट्रेनों में कम दूरी की यात्रा के लिए किराया घटाने से रेलवे को जबरदस्त फायदा हुआ.

प्राय: ऐसा देखा गया है कि शताब्दी ट्रेनों के रूटों पर पड़नेवाले ऐसे स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही बहुत कम होती है, जहां से ट्रेन नहीं खुलती है या उसका सफर खत्म नहीं होता. ऐसी जगहों पर लोग ट्रेनों की बजाय एसी बसों से यात्रा करना पसंद करते हैं. बीच के इन स्टेशनों के लिए बस का कम किराया यात्रियों को आकर्षित करता है.

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गौरतलब है कि अभी ज्यादातर शताब्दी ट्रेनों में डायनेमिक फेयर पॉलिसी लागू है, जिसके तहत हर 10 प्रतिशत सीटों के भरने के बाद किराये में बढ़ोतरी हो जाती है.

बहरहाल, रेलवे बोर्ड के सदस्य मोहम्मद जमशेद के हवाले से अखबार ने लिखा है कि रेलवे शताब्दी ट्रेनों में अपने यात्रियों की संख्या को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. डायनेमिक फेयर पॉलिसी लागू होने के बाद शताब्दी एक्सप्रेस में केवल 30 प्रतिशत लोग ही यात्रा कर रहे हैं.

बीच के स्टेशनों पर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिल रही थी, जिसको खत्म करने के लिए रेलवे ने दो शताब्दी ट्रेन के रूट पर एक ट्रायल किया था. इस ट्रायल के लिए दिल्ली-जयपुर और चेन्नई-बेंगलुरु ट्रेन को चुना गया. इसमें बीच के स्टेशनों पर यात्रा करने वालों को एसी बस की तुलना में किराये में कमी की गयी थी. इसके बाद दोनों रूटों पर यात्रियों की संख्या में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली.

गौरतलब है कि रेल छोड़ सड़क मार्ग अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति भारतीय रेलवे के लिए चिंता की एक बड़ी वजह है. आंकड़ों के मुताबिक, 1981 से माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से घटकर 36 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इसी बाबत रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले दिनों कहा कि देश में रेलवे को और इनोवेटिव बनाने के लिए कुछ प्रॉजेक्ट्स का खाका खींचा गया है, लेकिन केंद्रीय मदद के बावजूद फंड की भारी कमी महसूस की जा रही है.

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