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नक्सल प्रभावित 32 गांवों की बदली तस्वीर, डीसी ने कहा – गांवों के करीब 5339 परिवार मुख्यधारा से जुड़े

दुर्जय पासवान, गुमला : नक्सल प्रभावित 32 गांवों की तस्वीर बदली है. इन गांवों के करीब 5339 परिवार मुख्यधारा से जुड़े हैं. नक्सली बाधा के बावजूद कई बड़े काम हुए हैं. जिन 32 गांवों की तस्वीर बदली है. वे गांव बिशुनपुर प्रखंड के बनालात क्षेत्र में आता है. इसे कसमार इलाका भी कहा जाता है. […]

दुर्जय पासवान, गुमला : नक्सल प्रभावित 32 गांवों की तस्वीर बदली है. इन गांवों के करीब 5339 परिवार मुख्यधारा से जुड़े हैं. नक्सली बाधा के बावजूद कई बड़े काम हुए हैं. जिन 32 गांवों की तस्वीर बदली है.
वे गांव बिशुनपुर प्रखंड के बनालात क्षेत्र में आता है. इसे कसमार इलाका भी कहा जाता है. बनालात एक्शन प्लान के तहत इन सभी गांवों को नक्सलियों से मुक्त कराते हुए विकास के काम किये गये हैं. गुमला डीसी शशि रंजन ने कहा है कि बनालात एक्शन प्लान के तहत पांच पंचायत के 32 गांवों के विकास का संकल्प लिया गया था.
यह संकल्प गुजरे वर्ष 2018 में पूरा हो गया है. अगर कुछ कमी रह गयी है, तो उन कमियों को वर्ष 2019 में दूर कर लिया जायेगा. लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि ये 32 गांव अब पूरी तरह विकास की दहलीज पर खड़े रहेंगे. जनता से अपील है. अगर उन्हें लगता है कि कुछ कमी है, तो समस्या बताये. उन समस्याओं को दूर किया जायेगा.
डीसी ने कहा कि जोरी नदी पर नक्सलियों की बाधा के कारण 33 वर्ष से पुल अधूरा था. जिसे पूरा कर लिया गया है. इसके अलावा 16 नयी सड़कों का निर्माण कराया गया है. वहीं सात सड़क पर अभी काम चल रहा है. यह सड़क वर्ष 2019 में पूरी कर ली जायेगी. बनालात क्षेत्र के घाघरा नदी पर पुल नहीं है. यहां हाइ-लेबल पुल बनाने की योजना है.
इसका डीपीआर तैयार हो गया है. छह नये ट्रांसफारमर लगाये गये हैं. पहले एकल फेज था. जिसे अब थ्री फेज लाइन कर दिया गया है. अब नक्सल क्षेत्रों में बिजली की कोई समस्या नहीं है. वहीं बनालात क्षेत्र में तहसील कचहरी, पुस्तकालय, कंप्यूटर व आर्ट रूम, पांच स्कूलों में शौचालय का निर्माण कराया गया है. जिन गांवों में आजादी के बाद से पानी नहीं पहुंचा था.
उन गांवों में 40 सौर आधारित पानी आपूर्ति की योजना की स्थापना की गयी है. अब लोगों को सोलर सिस्टम से 24 घंटे शुद्ध पानी मिल रहा है. सिंचाई के लिए दर्जनों डोभा, तालाब बनाये गये हैं. माइक्रोलिफ्ट योजना की भी स्थापना की गयी है.
जिससे खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता रहे. उग्रवाद पीड़ित इन गांवों के करीब 150 युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ा गया है. कई युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सबसे बड़ी बात कि जिन बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठा कर ले जाने का डर था.
इसमें 300 से अधिक बच्चों को प्रशासन ने गांव से निकाल कर स्कूलों में दाखिला कराया है. अब ये बच्चे बंदूक से दूर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसमें अधिकांश बच्चे घाघरा व बिशुनपुर के सरकारी स्कूल के हॉस्टल में रह कर पढ़ रहे हैं. इस क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया गया है.
पहले लोग बीमारी के आभाव में गांव में दम तोड़ देते थे. परंतु अब गांव में ही इलाज की सुविधा है. इसके अलावा लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए जोरी, बनालात, जमटी में पुलिस पिकेट की स्थापना की गयी है. डीसी ने कहा कि बनालात एक्शन प्लान के तहत अभी कई बड़े काम करने बाकी हैं. लेकिन अभी तक जितने काम हुए हैं.
उसका लाभ ग्रामीणों को मिला है. सबसे बड़ी बात नक्सली भय अब कम हुआ है. सड़कें बनने से गांव पंचायत व पंचायत प्रखंड मुख्यालय से जुट गया है. इन गांवों में 218 करोड़ रुपये की लागत से विकास के काम हुए हैं. बनालात एक्शन प्लानल 20 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ था.

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