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नक्सलियों के गढ़ कोलेंग गांव में तैयार हो रही अगरबत्ती, राज्य में बिखेर रही खुशबू

दुर्जय पासवान, गुमला नक्सली का डर था और गरीबी जीने नहीं दे रही थी. लेकिन वक्त बदलता है. बस लोगों को बदलाव का इंतजार था. यही बदलाव की कहानी बयां करती है पालकोट प्रखंड के कोलेंग गांव की महिलाएं. अपने हुनर व मेहनत के बूते इस गांव की महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बनायी. कोलेंग […]

दुर्जय पासवान, गुमला

नक्सली का डर था और गरीबी जीने नहीं दे रही थी. लेकिन वक्त बदलता है. बस लोगों को बदलाव का इंतजार था. यही बदलाव की कहानी बयां करती है पालकोट प्रखंड के कोलेंग गांव की महिलाएं. अपने हुनर व मेहनत के बूते इस गांव की महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बनायी. कोलेंग गांव की 12 महिलाएं अगरबत्ती बनाकर न खुद स्वावलंबी हो रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी अगरबत्ती बनाने के व्यवसाय से जोड़कर उन्हें मजबूत करने में लगी हुई हैं.

कभी नक्सलियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से निकलने वाली बारूद की महक से यह क्षेत्र दहशत में जीता था. लेकिन आज इस गांव की महिलाओं की लगन के कारण अगरबत्तियों की सुगंध पूरे झारखंड राज्य में फैल रही है. महिला विकास मंडल (जेएसएलपीएस) बघिमा द्वारा संचालित चांदनी महिला मंडल की महिलाओं द्वारा निर्मित पंपा भवानी डायमंड अगरबत्ती की सप्लाई आज राज्य के विभिन्न इलाकों में की जा रही है.

स्काई जोन मार्केटिंग प्रशिक्षण केंद्र द्वारा प्रशिक्षण हासिल कर कोलेंग पंचायत की महिलाएं अगरबत्ती निर्माण के अलावा एलईडी बल्ब का निर्माण, फार्मिंग प्रशिक्षण, मशरूम प्रशिक्षण, मोमबत्ती प्रशिक्षण इत्यादि जैसे कार्य सीख रहीं हैं. कोलेंग पंचायत की प्रिसिला केरकेट्टा ने बताया कि ग्राम संगठन, बैंक लोन एवं सीसी लिंकेज के पैसे का इस्तेमाल कर कोलेंग पंचायत की 12 महिलाओं का समूह इस कार्य से जुड़कर अगरबत्ती उत्पादन का काम कर रही है.

इस कार्य में उनके साथ कोलेंग पंचायत की ग्लोरिया डुंगडुंग, करूणा कांति, ज्योति केरकेट्टा, फ्रिस्का केरकेट्टा एवं प्रियंका कुल्लू भी जुड़ी हैं. आज ये महिलाएं मिलकर अगरबत्ती निर्माण का कार्य करती हैं. अबतक उनके द्वारा कुल 18 से 19 हजार अगरबत्ती के पैकेट का निर्माण किया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि 1.5 लाख के इस व्यवसाय़ में महिलाओं द्वारा बनाये गये अगरबत्तियों को बालूमाथ, पलामू, लोहरदगा के विक्रेताओं को सप्लाई किया जाता है. इसके साथ ही इन अगरबत्तियों को जिले के विभिन्न धार्मिक स्थलों यथा आंजनधाम, टांगीनाथ मंदिर, हीरादह सहित अन्य धार्मिक स्थलों में भी सप्लाई किया जाता है. धीरे-धीरे इस व्यवसाय से कोलेंग पंचायत की ढेरों महिलाएं जुड़ कर स्वावलंबी बन रही हैं.

अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल मंगवाने से लेकर उसकी पैकेजिंग तक का कार्य इन महिलाओं के द्वारा किया जाता है. कच्चा माल कोलकाता से मंगवाया जाता है. वहीं इस कच्चे माल के साथ अगरबत्ती बनाने में सहायक पाउडर, केमिकल एवं अगरबत्ती बनाने के लिए उपयोग में आने वाले स्टिक भी कोलकाता से ही मंगाये जाते हैं.

इन अगरबत्तियों में सबसे खास और नायाब अगरबत्ती है ऑर्गेनिक लेमनग्रास मस्कीटो रिपेलेंट अगरबत्ती. जी हां, कोलेंग पंचायत की महिलाओं द्वारा ही निर्मित इस अगरबत्ती की सुगंध की वजह से मच्छर इसके आसपास भी नहीं फटकते हैं. यह पूरी तरह ऑर्गेनिक है. लेमनग्रास एक जड़ी बूटी है. जिसके कई औषधीय फायदे भी हैं.

एलईडी बल्‍ब भी हो रहा तैयार

कोलेंग की महिलाएं एलईडी बल्‍ब का निर्माण कर लोगों के घरों में रोशनी फैला रही हैं. एलईडी बल्‍ब निर्माण कर महिलाएं घर बैठे पैसे भी कमा रही हैं. आपको बताते चलें कि बल्ब बनाने के लिए उपयोग में आने वाली सारी सामग्रियां कोलकाता से मंगायी जाती हैं. बल्‍ब की फिटिंग करने के लिए इन महिलाओं के पास लकड़ी के बल्‍ब फिटिंग उपकरण मौजूद हैं. यह उपकरण अहमदाबाद से मंगवाया गया है. प्रिसिला ने बताया कि बल्ब बनाने के सारे पुर्जे एकत्रित कर ये महिलाएं इन पुर्जों को जोड़कर एवं बल्‍ब फिटिंग उपकरण की सहायता से इन एलईडी ब्लबों को तैयार करती हैं. इन तैयार बल्‍बों को फिर पैकेजिंग कर दुकानों में सप्लाई किया जाता है.

पलायन रुका, अब गांव में है काम

कोलेंग गांव की महिलाओं ने कहा कि पहले पलायन मजबूरी थी. क्योंकि पेट के लिए कमाना जरूरी था और कमाने के लिए दूसरे राज्य जाते थे. लेकिन गांव में ही स्वरोजगार के साधन मिले तो पलायन रूक गया है. अब गांव में ही काम है. अगरबत्ती व एलइडी ब्लब से इस गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं.

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