गढ़वा : लोकसभा चुनाव में पलामू संसदीय क्षेत्र के गढ़वा जिले में जैसे -जैसे समय नजदीक आते जा रहा है, वैसे-वैसे चर्चा व मुद्दे उभरने लगे हैं. गढ़वा जिले के विभिन्न प्रखंडो में अलग-अलग मुद्दे हैं, जो पिछले कई सालों से चुनाव में ही सिर्फ मुद्दे उभरते हैं और चुनाव के बाद पांच सालों के लिए उन मुद्दों को भुला दिया जाता है और नये सपने दिखाये जाने लगते हैं.
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भवनाथपुर में फिर पावर प्लांट बनते-बनते रह गया
गढ़वा : लोकसभा चुनाव में पलामू संसदीय क्षेत्र के गढ़वा जिले में जैसे -जैसे समय नजदीक आते जा रहा है, वैसे-वैसे चर्चा व मुद्दे उभरने लगे हैं. गढ़वा जिले के विभिन्न प्रखंडो में अलग-अलग मुद्दे हैं, जो पिछले कई सालों से चुनाव में ही सिर्फ मुद्दे उभरते हैं और चुनाव के बाद पांच सालों के […]
इस बार भी चुनाव के नजदीक आते ही मुद्दे उभरने लगे हैं और चर्चाएं तेज होने लगी है़ जिले के औद्योगिक नगरी कहे जानेवाले भवनाथपुर प्रखंड में वैसे तो कई पुराने व बड़े मुद्दे शेष हैं और वह सिर्फ चुनाव में ही याद करने की परंपरा को आगे बढ़ाने का सिलसिला अब तक चलता आ रहा है़ इसी कड़ी में लगभग पांच साल पूर्व वर्ष 2013 में जब राज्य में यूपीए की सरकार थी, तो भवनाथपुर सेल आरएमडी माइंस परिसर में पावर प्लांट को लेकर काफी जोर लगा.
हवाई सर्वेक्षण हुए और सरकार के कई प्रतिनिधियों के दौरे के बाद वहां ज्वाइंट वेंचर में राज्य सरकार ने पावर प्लांट स्थापित करने का फैसला लिया़ 19 फरवरी 2013 को भवनाथपुर टाउनशिप में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह लाव लश्कर के साथ हैलिकॉप्टर से पहुंच कर पावर प्लांट के लिए आधारशिला रखी.
शिलान्यास के बाद जब इस मामले में आवजें उठने लगी तो कहा गया कि उक्त शिलान्यास पावर प्लांट के लिये नहीं बल्कि पावर प्लांट के चहारदीवारी का शिलान्यास किया गया है़ लेकिन आज तक न तो चहारदीवारी का काम प्रारंभ हुआ और नहीं पावर प्लांट की चर्चा की गयी. शिलान्यास के बाद तत्कालीन सरकार ने भवनाथपुर के लिए कोल ब्लॉक भी आवंटित कर दिया गया़ पांच सालों तक लोग इंतजार करते रहे कि पावर प्लांट का काम कब शुरू होगा.
इस दौरान वर्ष 2014 में जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो कहा गया कि भवनाथपुर में पावर प्लांट स्थापित करने को लेकर सरकार के यहां कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है. इसके बाद भवनाथपुर सहित जिले भर के लोग इस मामले में ठगा हुआ महसूस करने लगे. यद्यपि एक बार फिर चुनाव सर पर है और जनता नेताओं से पावर प्लांट के मुद्दे को जरूर उठायेगी, जिसका जवाब देना प्रत्याशियों के लिये आसान नहीं होगा.
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