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GST की पाठशाला में ऐसे समझें टैक्स का गणित : महंगाई पर काबू पाना सरकार के लिए नहीं होगा आसान

नयी दिल्ली : पहली जुलाई से भले ही देशभर में जीएसटी को लागू कर दिया जाये, मगर महंगाई पर काबू पाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद तक सप्लाई चेन में कमी आने की वजह से महंगाई […]

नयी दिल्ली : पहली जुलाई से भले ही देशभर में जीएसटी को लागू कर दिया जाये, मगर महंगाई पर काबू पाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद तक सप्लाई चेन में कमी आने की वजह से महंगाई का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इस वजह से आने वाले करीब 12 से 18 महीनों तक सरकार को महंगाई पर नियंत्रण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. इस बात की आशंका जाहिर करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नोट जारी कर सरकार और जीएसटी से संबंधित लोगों को आगाह भी किया है.

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जीएसटी को लेकर जारी नोट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद 12 से 18 महीनों तक चलने वाली मुद्रास्फीति का अर्थव्यवस्था पर पारस्परिक प्रभाव पड़ने की संभावना है. नोट में कहा गया है कि सप्लाई चेन की रुकावटों में कमी तथा परिवहन व उत्पादन लागत में कमी आने से एकीकृत सामान और सेवाओं के बाजार का निर्माण होगा.

आरबीआई का यह अनुमान उन देशों के अनुभवों के अध्ययन पर आधारित है, जहां अब तक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी लागू किया जा चुका है. भारत में जीएसटी इस साल पहली जुलाई से लागू होना है और जीएसटी परिषद ने वस्तु एवं सेवा क्षेत्र के लिए टैक्स दर का अलग-अलग स्लैब तय कर दिया दिया है. सोना और कुछ अन्य वस्तुओं पर जीएसटी की दर तय करने के लिए जल्द ही जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक होने वाली है.

उद्यमियों और विशेषज्ञों को उम्मीद, आम आदमी में आशंका

जीएसटी को लेकर एक ओर उद्योग और बाजार विशेषज्ञों को यह उम्मीद है कि इससे देश में सिंगल मार्केट सिस्टम तैयार होगा और महंगाई को नियंत्रित करने में सहूलियत होगी. वहीं, आम आदमी को अभी इस बात की आशंकित है कि जीएसटी लागू होने के बाद कहीं कुल मिलाकर महंगाई बढ़ ताे नहीं जायेगी? इस आशंका की एक बड़ी वजह बाजार पर सरकार की नियंत्रण-क्षमता भी है. बहरहाल, दुनिया के ज्यादातर देशों का अनुभव यही है कि जीएसटी या इस तरह का टैक्स सिस्टम लागू करने के बाद वहां महंगाई बढ़ी. ऐसे देशों में सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी हैं.

ऑस्ट्रेलिया में जीएसटी लागू करने में लगे थे 25 साल, बढ़ गयी थी महंगाई की दर

आरबीआई की ओर से एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया में जीएसटी लागू करने में 25 साल लगे. वहां इसकी प्लानिंग 1975 से ही हो रही थी. कई टैक्सों को खत्म कर वस्तुओं और सेवाओं पर 10 पर्सेंट टैक्स तय किया गया था, लेकिन जब जुलाई 2000 में वहां जीएसटी लागू किया गया, तो बदलाव के दौर में वहां महंगाई काफी बढ़ गयी. न्यूजीलैंड का भी ऐसा ही अनुभव रहा. न्यूजीलैंड में भी जीएसटी लागू करने पर महंगाई बढ़ी, लेकिन वहां एक साल में स्थिति सामान्य हो गयी. कनाडा में भी जीएसटी ने कीमतों पर प्रभाव डाला.

भारत में महंगाई रोकने की भी होगी चुनौती

क्रिसिल लिमिटेड के निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री डीके जोशी का कहना है कि ज्यादातर देशों में जीएसटी का असर मामूली मुद्रास्फीति के रूप में देखने को मिला है. जीएसटी लागू होने से कुछ वस्तुओं के लिए तो टैक्स की दरें बढ़ जाती हैं और कुछ के लिए नीचे आती हैं. भारत में जिस तरीके से जीएसटी का मसौदा तैयार किया गया है, उससे ज्यादा मंहगाई तो नहीं बढ़ेगी, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि कर कटौती का लाभ अंतिम उपभोक्ता को मिले.

मलेशिया में कीमतें रहीं थीं स्थिर

मलेशिया में भी जीएसटी लागू है. वहां भी सभी तरह के पुराने करों को खत्म कर एक वस्तु और सेवा कर व्यवस्था लागू की गयी. इसके लिए लंबे समय तक तैयारी की गयी और बाकी देशों के अनुभवों को अध्ययन किया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि मलेशिया दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिसे इस जोखिम को कम करने में सफलता मिली. वहां महंगाई रोकने में कामयाबी मिली. वहां के घरेलू व्यापार और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बड़ी ही सक्रियता से बाजार और उद्योग जगत में हस्तक्षेप करते हुए कीमतों को स्थिर रखा था.

जीएसटी में रियायत चाहती है डाबर

आयुर्वेदिक औषधियों और वस्तुओं के उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली डाबर कंपनी भी जीएसटी में रियायत चाहती है. कंपनी आयुर्वेदिक उत्पादों में जीएसटी की तय की गयी दर पर सरकार और जीएसटी परिषद से पुनर्विचार करने का अनुरोध करेगी. कंपनी के सीइओ सुनील दुग्गल ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि कंपनी आयुर्वेदिक उत्पाद पर लागू की जाने वाली जीएसटी दर की समीक्षा के लिए सरकार को आवेदन देगी.

जीएसटी अनुपालन में मदद करेगा माइक्रोसॉफ्ट

जीएसटी व्यवस्था के तहत टैक्स भरने और रिकॉर्ड मेंटन करने करने में मझोले उपक्रमों (एसएमइ) को माइक्रोसॉफ्ट मदद करेगा. देश में करीब 85 लाख सूक्ष्म और मझोले उपक्रम हैं, जिन्हें जीएसटी लागू होने के बाद टेक्स प्रणाली में बदलाव के दौरान मदद की जरूरत होगी. उन्हें यह मदद उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी समाधान प्रदाता ऐजमाइजीएसटी ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ करार किया है. माइक्रोसॉफ्ट छोटे और मझोले उपक्रमों (एसएमइ) को रिटर्न दाखिल करने और समय पर कर भुगतान में सहयोग करेगा. इस करार के जरिये माइक्रोसॉफ्ट ग्राहकों को जीएसटी के अनुपालन के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करायेगी और ऐजमाइजीएसटी उत्पादों का एकीकरण करेगी. माइक्रोसॉफ्ट आफिस के विपणन निदेशक आलोक बी लाल ने कहा कि दोनों कंपनियां सुगम और सस्ता जीएसटी अनुपालन उपलब्ध कराने के लिए साथ आयी हैं.

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