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देवघर : पुलिस डाल-डाल, तो साइबर अपराधी पात-पात

संजीत मंडल देवघर : पहले बैंक अधिकारी बन फोन किया, आपसे ओटीपी मांगा, आपका आधार नंबर मांगा और भी डिटेल्स मांगे और आपके पैसे खाते से उड़ गये. यह बात अब पुरानी हो गयी. साइबर अपराधियों का यह ट्रेंड अब काफी पुराना हो गया है. अब तो जैसे-जैसे पुलिस को उनके तरीके का पता चलता […]

संजीत मंडल
देवघर : पहले बैंक अधिकारी बन फोन किया, आपसे ओटीपी मांगा, आपका आधार नंबर मांगा और भी डिटेल्स मांगे और आपके पैसे खाते से उड़ गये. यह बात अब पुरानी हो गयी. साइबर अपराधियों का यह ट्रेंड अब काफी पुराना हो गया है. अब तो जैसे-जैसे पुलिस को उनके तरीके का पता चलता जा रहा है, उस अनुरूप साइबर अपराधी भी हर दिन नयी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और नये तरीके से पैसे उड़ा रहे हैं.
पुलिस डाल-डाल चल रही है, तो साइबर अपराधी उन्हें मात देने के लिए पात-पात चल रहे हैं.
नतीजा है कि साइबर अपराधी पकड़े तो जाते हैं लेकिन उसके खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सुुबूत हाथ नहीं लगता है. कानून भी लचीला होने के कारण इन साइबर अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा एक साल की सजा होती है. इतनी सजा काटने के लिए ये साइबर अपराधी अभ्यस्त हो गये हैं. यही कारण है कि जेल से निकलने के बाद फिर इसी राह पर साइबर अपराधी चलते हैं.
हर दिन नयी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे साइबर अपराधी, पुलिस को नहीं मिल पाता उनके खिलाफ सुराग
1. साइबर क्राइम की नयी तकनीक
साइबर अपराधी रिटर्न दाखिल करने के लिए लोगों को आयकर विभाग के नाम पर फर्जी मैसेज भेजने लगे हैं और जो उनके झांसे में आ रहे हैं, वे ठगी के शिकार हो जाते हैं.
गिरोह की ओर से लोगों को मोबाइल पर मैसेज भेजे जा रहे हैं कि आपका इनकम टैक्ट रिफंड अमाउंट आपके बैंक में जल्द डाल दिया जायेगा. अकाउंट वेरीफाई करने के नाम पर मैसेज के अंत में एक यूआरएल होता है जिस पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है, इस पर क्लिक करने के बाद बैंक डिटेल अपडेट करने को कहा जाता है, जो इनके झांसे में आ जाते हैं उसे लाखों को चूना लग जाता है.
2. यूआरएल लिंक के जरिये भी करते हैं ठगी
फर्जी एसएमएस या ई-मेल, जो असली से मिलते-जुलते होते हैं, खासकर यूआरएल का लिंक भेजते हैं. लिंक पर क्लिक करते ही यूजर फर्जी वेबसाइट पर पहुंच जाता है. फर्जी वेबसाइट असली वेबसाइट से क्लोन कर तैयार किया जाता है, जिससे लोग फंस जाते हैं.
लोगों को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए कहा जाता है. इस फर्जी वेबसाइट के झांसे में आकर कौन बनेगा करोड़पति, इंडियन आइडल आदि कार्यक्रम के नाम से कई लोग ठगे जा चुके हैं.
3. फर्जी वेबसाइट्स से बनाते हैं शिकार
साइबर अपराधी किसी भी वेबसाइट के नाम से मिलती-जुलती एक दूसरी साइट बना देते हैं. इन साइट्स पर काफी कम कीमत में सामान दिखाया जाता है. जिससे ग्राहक सस्ते के चक्कर में ऑनलाइन भुगतान कर देते हैं. ग्राहकों से भुगतान लेने के बाद ये लिंक डिएक्टिवेट हो जाते हैं.
4. फाॅल्स व प्रमोशनल कॉल्स के जरिये ठगी
फाॅल्स व प्रमोशन कॉल्स के जरिये ठगी का यह तरीका आजकल काफी चलन में है. साइबर अपराधी लोगों को फोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनको फलां कंपनी की तरफ से लकी उपभोक्ता चुना गया है.
वे उन्हें यह भी बताते हैं कि लकी उपभोक्ता होने के कारण आपको 50 हजार का मोबाइल सिर्फ सात हजार या 10 हजार रुपये में मिलेगा. इसके लिए आपको ये पैसे कंपनी के अकाउंट में जमा कराने होंगे. अाइएमपीएस जैसी तकनीक आ जाने से खाता धारक का नाम गलत है, तो भी पैसे उसके अकाउंट में चला जायेगा. ऐसे में ठग कंपनी का फर्जी नाम बताकर पैसे ले लेते हैं.
5. ओटीपी और सिम कार्ड से स्वैपिंग राशि उड़ाना
ओटीपी और सिम कार्ड स्वैपिंग के जरिये ऑनलाइन ठगी की नयी तकनीक आजकल अधिक चल रही है. ठग फोन करके यूजर को किसी नंबर पर एसएमएस करने को कहते हैं और उसके एसएमएस करने के बाद उसका नंबर खुद अपने पास एक्टिवेट करवा लेते हैं. नंबर एक्टिवेट करवाने के बाद उस नंबर से रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट या वॉलेट से पैसे अपने खाते में डलवा लेते हैं.
6. फर्जी एप्स के माध्यम से भी बनाते हैं शिकार
गूगल के प्ले स्टोर पर एप्स लांच करना काफी आसान है. इसी का फायदा उठाकर ठगी करने वाले फेमस इ-कॉमर्स साइट्स के नाम और फीचर में मिलता-जुलता एप बना कर प्ले स्टोर पर अपलोड कर देते हैं. ऐसे में लोग जब प्ले स्टोर पर किसी एप्स को सर्च करते हैं, तो कई बार क्लोन एप्स को ही असली एप समझ कर डाउनलोड कर लेते हैं और उन्हीं पर शॉपिंग करने लगते हैं.
7. एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर ठगी
साइबर अपराधियों का एक गिरोह जो क्लोनिंग करने में एक्सपर्ट होता है. इस गिरोह का काम सिर्फ एटीएम कार्ड का क्लोनिंग करके डुप्लीकेट एटीएम कार्ड तैयार करना होता है. ये डुप्लीकेट एटीएम साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराते हैं.
जिसके जरिये खाते से पैसे की अवैध निकासी हो जाती है. बिना आपसे कार्ड नंबर, ओटीपी, पासवर्ड जाने ये इस तरीके से पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम का क्लोन सुनसान इलाके में जहां के एटीएम में गार्ड नहीं रहता है, वहां बनने का खतरा रहता है.

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