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जनसंख्या विनियमन विधेयक 2019 से जुड़ी चिंताएं

-रजनीश आनंद- बजट 2019-20 के पहले आये आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में लड़के बच्चों की चाह बहुत ज्यादा है और लड़कों की ख्वाहिश में देश में 2.1 करोड़ अनचाही बच्चियां पैदा हुईं हैं. यह आंकड़ा चौंकाने वाला तो है, लेकिन जो भारतीय समाज से परिचित हैं, वे इस […]

-रजनीश आनंद-

बजट 2019-20 के पहले आये आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में लड़के बच्चों की चाह बहुत ज्यादा है और लड़कों की ख्वाहिश में देश में 2.1 करोड़ अनचाही बच्चियां पैदा हुईं हैं. यह आंकड़ा चौंकाने वाला तो है, लेकिन जो भारतीय समाज से परिचित हैं, वे इस सच से वाकिफ हैं. ऐसी स्थिति में सरकार जनसंख्या विनियमन विधेयक 2019 लेकर आयी है, जिसके अंतर्गत दो बच्चों को आदर्श मानते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जायेगा. बेशक आज भारत के लिए जनसंख्या एक बड़ी समस्या है, क्योंकि जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ी है, उस अनुपात में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की बुनियादी सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो पायीं हैं. ऐसे में जनसंख्या विनियमन विधेयक की आवश्यकता देश को है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि सरकार इसे कैसे लागू करती है. इस विधेयक में दो बच्चों के अभिभावकों के लिए कई सुविधाएं दी गयी हैं, तो दो से अधिक बच्चों के माता-पिता के लिए कई तरह की बंदिश भी लगाने की बात कही गयी है.

महिलाओं पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ

चूंकि देश में हर माता-पिता लड़के की चाह करते हैं, इसलिए दो बच्चों को आदर्श बनाये जाने के बाद महिलाओं को असुविधा हो सकती है. मसलन उन्हें बार-बार गर्भपात जैसी समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है. यह उनके स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंताजनक स्थिति होगी, क्योंकि हमारे देश में महिलाएं पहले से ही बहुत स्वस्थ नहीं हैं और वे कुपोषण और एनीमिया जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं.

मुसलमान हैं सशंकित

नरेंद्र मोदी सरकार का हिंदुत्वादी चेहरा भी इस विधेयक के लिए परेशानी का सबब है. भले ही सरकार जनसंख्या को लेकर चिंतित हैं और अपने नागरिकों को बेहतर जीवन देने के लिए यह विधेयक ला रही है, लेकिन मुसलमान इस विधेयक से भयभीय हैं, उन्हें यह लग रहा है कि सरकार उन्हें टारगेट करके यह विधेयक ला रही हैं. हालांकि गिरिराज सिंह जैसे फायरब्रांड नेताओं ने भी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए आगे आयें.

जनसंख्या वृद्धि दर में आयी है गिरावट

आर्थिक सर्वे में जनसंख्या वृद्धि को लेकर जो आंकड़े आये हैं, वे सुखद हैं क्योंकि हर धर्म के लोगों में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गयी है. वर्ष 1991 से 2001 तक में वृद्धि दर 21.5 प्रतिशत थी, जो 2001 से 2011 तक में घटकर 17.7 प्रतिशत रह गयी है. वहीं कुल प्रजनन दर वर्ष 2016 में 2.3 है, जिसके 2041 तक 1.7 हो जाने की संभावना है.

विधेयक में क्या है खास

जनसंख्या विनियमन विधेयक 2019 पेश करते हुए भाजपा नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि देश में 2 और 11 का अनुपात नहीं चलेगा. इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि जिनके दो बच्चे होंगे उन्हें कई फायदे मिलेंगे. बैंक डिपॉज़िट में ज़्यादा ब्याज़ मिलेगा. बच्चों को शिक्षा में प्राथमिकता मिलेगी. साथ ही जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किये जाने की वकालत भी गयी है. साथ ही जमा रकम में कम ब्याज़ मिले इत्यादि का प्रावधान भी है.

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