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महाशय धर्मपाल जीवित हैं, परिवार ने जारी किया Video

नयी दिल्ली : ‘मसाले दी शहंशाह’ एमडीएच मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी जीवित हैं और सही-सलामत हैं. उनके दामाद ने ट्विटर पर महाशय एवं उनके परिवार का एक वीडियो शेयर करते हुए न्यूज वेबसाइट्स में चल रही खबरों को गलत बताया है और परिवार की ओर से इसकी निंदा की है. महाशय के दामाद […]

नयी दिल्ली : ‘मसाले दी शहंशाह’ एमडीएच मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी जीवित हैं और सही-सलामत हैं. उनके दामाद ने ट्विटर पर महाशय एवं उनके परिवार का एक वीडियो शेयर करते हुए न्यूज वेबसाइट्स में चल रही खबरों को गलत बताया है और परिवार की ओर से इसकी निंदा की है.

महाशय के दामाद सुभाष शर्मा ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि उनके श्वसुर की उम्र 96 साल है. वे पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. उन्होंने कहा कि महाशय धर्मपाल के निधन की अफवाह उड़ने के बाद उन्होंने एक वीडियो बनाया और उसे ट्विटर पर शेयर किया है.

https://twitter.com/umashankarsingh/status/1048805472139169793?ref_src=twsrc%5Etfw

रिपोर्ट्स में कहा गया था कि महाशय धर्मपाल की उम्र 95 साल है और उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. इस रिपोर्ट की निंदा करते हुए सुभाष ने कहा कि चुन्नीलाल, महाशय के पिता का नाम है. वर्षों पहले उनका निधन हो चुका है. किसी ने चुन्नीलाल जी के नाम के साथ धर्मपाल महाशय की तस्वीर लगाकर उनकी मौत की अफवाह फैला दी.

ज्ञात हो कि महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) भारत में मसालों का लोकप्रिय ब्रांड है. गुलाटी उसके विज्ञापनों में ब्रांड का प्रतिष्ठित चेहरा थे. कंपनी की स्थापना उनके पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने की थी. वर्ष 1947 में विभाजन के बाद वह भारत आ गये. पाकिस्तान में शुरू हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद गुलाटी का परिवार अमृतसर आ गया. ये लोग यहां एक शरणार्थी शिविर में रह रहे थे.

काम की तलाश में बाद में महाशय धर्मपाल जी दिल्ली आ गये. वर्ष 1953 में दिल्ली में उन्होंने एक मसाले की दुकान शुरू की. दुकान चल पड़ी. वर्ष 1959 में एक प्लॉट खरीदकर अपनी फैक्ट्री लगायीऔर आज उनका ब्रांड देश ही नहीं, दुनिया के कई देशों में मशहूर हो चुका है.

सिर्फ पांचवीं तक की पढ़ाई करने वाले महाशय धर्मपाल वर्ष 2017 में भारत में FMCG (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) की सबसे ज्यादा बिक्री करने वाली कंपनी के सीइओ थे. इनके पिता सियालकोट में मसालों की दुकान चलाते थे. 5वीं तक पढ़ाई करने के बाद ही इनके पिता ने इन्हें कभी साबुन की, तो चावल की फैक्ट्री में काम पर लगा दिया.

‘महाशयजी’ के नाम से मशहूर धर्मपाल का जन्म वर्ष 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था. बताया जाता है कि सियालकोट से पलायन कर अमृतसर और फिर दिल्ली पहुंचे महाशय ने तांगा चलाना शुरू किया. लेकिन, इससे हुई कमाई से वह संतुष्ट नहीं थे. सो उन्होंने मसाले के बिजनेस में लौटने का फैसला किया.

व्यापार शुरू करने के लिए उन्होंने तांगा बेच दिया. इसके बाद अजमल खान रोड पर मसालों की एक छोटी-सी दुकान खोल ली. वह बाजार से गोटा मसाला खरीदते और उसे पिसवाकर घर-घर सप्लाई करते. कुछ ही दिनों में उनकी दुकान जम गयी. फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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