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किसान हित के लिए कृषि विकास
राधामोहन सिंह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री amofindia@gmail.com प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के निर्देशन में गत वर्षों में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए जो सतत प्रयास किये गये हैं, उनके उत्साहजनक व सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं. मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए जिस मनोयोग से जुटी है, इससे किसानों के जीवन […]
राधामोहन सिंह
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
amofindia@gmail.com
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के निर्देशन में गत वर्षों में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए जो सतत प्रयास किये गये हैं, उनके उत्साहजनक व सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं. मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए जिस मनोयोग से जुटी है, इससे किसानों के जीवन में गुणात्मक सुधार आ रहा है. मोदी सरकार ने विकास के लिए देश के सामने नयी कार्यविधि, पारदर्शी कार्यशैली के नये प्रतिमान रचे हैं.
सरकार ने समयबद्ध तरीके से मोदीजी के कुशल मार्गदर्शन में किसान कल्याण की योजनाओं के पूर्ण क्रियान्वयन के लक्ष्यों को मिशन मोड में परिवर्तित किया है. सुशासन के नये आयामों, नवाचारों एवं सुधारवादी दृष्टिकोण से एक आधुनिक और भविष्योन्मुख भारत की नींव सरकार ने रखी है. मोदी सरकार किसानों में कृषि उन्नति के लिए की गयी नयी पहलों के प्रति जागरूकता लाने में सफल हुई है.
राष्ट्रीय किसान कमीशन के अध्यक्ष, डॉ स्वामीनाथन ने तत्कालीन सरकार से वर्ष 2006 में अनुशंसा की थी कि कृषि आधारित सोच के साथ किसानों के कल्याण पर भी उचित ध्यान दिया जाना चाहिए. कमीशन ने विज्ञान आधारित प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन एवं सतत उत्पादन व विकास की तरफ भी ध्यान देने की बात कही थी.
अभी 6 अगस्त, 2018 को स्वामीनाथन ने अपने लेख में कहा है- ‘यद्यपि राष्ट्रीय किसान आयोग रिपोर्ट साल 2006 में प्रस्तुत की गयी थी, परंतु जब तक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनी थी, तब तक इस पर बहुत काम नहीं हुआ था. सौभाग्यवश पिछले चार वर्षों में किसानों की दशा और आय में सुधार करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं.’
पिछले चार वर्षों में कृषि क्षेत्र में सतत विकास करने, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने तथा कृषि उत्पादन लागत में कमी करने के लिए बहुत सारे प्रयास किये गये हैं. इन प्रयासों से हमारे जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं. देशव्यापी सॉएल हेल्थ कार्ड स्थापित करना इसी सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने कृषि में केवल नीम कोटिड यूरिया के उपयोग को अनिवार्य बनाया है. इससे उत्पादकता सुधरी है और कृषि लागत घटी है. कृषि विकास एवं मृदा स्वास्थ्य हेतु ऑर्गेनिक खेती को परंपरागत विकास योजना के साथ जोड़ दिया गया है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लागू होने से कृषि कार्यों में उचित जल प्रबंधन हो सकेगा. सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी किसान अनुकूल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा मौसम आधारित फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की, जिसके तहत कृषि क्षेत्र को जोखिमों से सुरक्षा दी गयी है.
मॉडल एग्रीकल्चरल लैंड लीजिंग एक्ट, 2016 राज्यों को जारी किया, जो कृषि सुधारों के संदर्भ में अत्यंत ही महत्वपूर्ण कदम है. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक ई-मार्केट स्कीम 2016 (ई-नाम) एक ऐसा एकीकृत उपाय है, जो देश के कृषि बाजारों को एक साथ जोड़ता है.
सरकार ने देश की 585 कृषि उत्पाद समितियों के अलावा भी मंडियों के बीच खुले व्यापार पर ध्यान देकर राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना की है. वर्ष 2018 के बजट में, नयी बाजार संरचना के बारे में बहुत सारी बातें कही गयी हैं.
छोटे एवं सीमांत किसान, अपनी छोटी सी उपज को नजदीकी बाजार में बेच सकें, इसके लिए भी व्यवस्था की गयी है. 22,000 ग्रामीण बाजारों का देशभर में फैलाव, ग्रामीण कृषि मार्केट के विकास के अंतराल को कम करता है. नया आधारभूत ढांचा, छोटे एवं सीमांत किसान, एपीएमसी या ई-नाम से जुड़कर अपनी छोटी-छोटी उपज को भी प्रभावशाली ढंग से बेच सकेंगे.
हम और एक मजबूत एवं सक्षम कृषि बाजार के उचित न्यायिक ढांचे का विकास हासिल कर सकें, इस हेतु मोदी सरकार ने मॉडल (कृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन अधिनियम 2016) बनाकर सभी प्रदेशों को दे दिया गया है तथा कृषि उत्पाद तथा पशुधन कांट्रैक्ट फार्मिंग एवं सेवा नियमावली 2018 भी राज्यों को लागू करने हेतु दिया गया है.
लागत से न्यूनतम 50 प्रतिशत ज्यादा समर्थन मूल्य देने का निर्णय लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया, ताकि किसान-हितों की भरपाई हो सके. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू करने के लिए भी प्रतिबद्ध है.
हरित क्रांति की शुरुआत से ही सरकारी खरीद केवल धान और गेहूं तक सीमित रही है. एमएसपी पर इन फसलों की सुनिश्चित खरीद से, किसानों तथा इस सेक्टर, जो अभी तक उपेक्षित थे, को दरों में महत्वपूर्ण वृद्धि मिलेगी. मोदी सरकार आने के बाद दलहन एवं तेलहन खरीद में भारी वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री जी का आजादी के 75वें वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य से एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति होगी.
पशुपालन, मछली पालन, जलजीवों के विकास को भी सरकार ने अपनी नीतियों एवं योजनाओं में प्राथमिकता दी है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन से बहुत सारे लघु एवं सीमांत किसान, भूमिहीन कृषि मजदूर और जो देशी नस्लें पालते हैं, सबको उचित लाभ मिल रहा है.मछली उत्पादन क्षेत्र ने कृषि के सभी क्षेत्रों से ज्यादा वृद्धि दर हासिल की है.
गरीब किसानों के लिए सहयोगी कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार की कृषि आधारित सहयोगी योजनाओं से कृषि जगत में अतिरिक्त रोजगार एवं आमदनी पैदा करने में सहायता मिलेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा पिछले चार साल में फसलों की कुल 795 उन्नत किस्में विकसित की गयी हैं, जिसमें 495 किस्में जलवायु के विभिन्न दबावों के प्रति सहिष्णु हैं.
सीमांत एवं लघु किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में पहल करते हुए कुल 45 एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किये गये. भारत सरकार द्वारा इनको गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में इस मॉडल को स्थापित किया जा रहा है, ताकि किसान इसे अपनाकर अधिक लाभ कमा सकें.
कृषि में नीतिगत सुधारों एवं नयी-नयी योजनाओं को सरकार द्वारा लागू करने के लिए आवश्यकतानुसार बजट की व्यवस्था की गयी है. पिछले वर्षों में मोदी सरकार ने ऐसी योजनाओं के लिए 2,11,694 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है.
सरकार ने डेयरी, कोऑपरेटिव, मछली तथा जलजीवों के उत्पादन, पशुपालन, कृषि बाजार एवं सूक्ष्म सिंचाई के आधारभूत ढांचे एवं व्यवस्था में सुधार हेतु सक्षम कार्पस फंड बनाये हैं. इस प्रकार से सरकार ने कृषि जगत एवं किसानों के कल्याण हेतु तथा उपभोक्ताओं की अभिरुचि को ध्यान में रखकर सतत उत्पादन की तरफ आय केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने किसानों की समग्र भलाई व कल्याण के लिए कोई लक्ष्य रखा है.
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