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GST : आशंकाओं को छोड़ें, सबसे बड़े आर्थिक सुधार का स्वागत करें

आजादी के बाद कर व्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव आखिरकार लंबे जद्दोजहद, उहापोह, और दुरूह कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पूरे देश में एक साथ मध्य रात्रि से लागू हो गया. इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा, क्योंंकि अब पूरे देश […]

आजादी के बाद कर व्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव
आखिरकार लंबे जद्दोजहद, उहापोह, और दुरूह कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पूरे देश में एक साथ मध्य रात्रि से लागू हो गया. इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा, क्योंंकि अब पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक ही तरह का कर होगा और अंतत: पूरे देश का बाजार एक होगा. संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बटन दबा कर जीएसटी को लाॅन्च िकया. इस तरह देश में एक नयी कर व्यवस्था की शुरुआत हो गयी.
आशंकाओं को छोड़ें, सबसे बड़े आर्थिक सुधार का स्वागत करें
आशुतोष चतुर्वेदी
बड़ा बदलाव हमेशा पीड़ादायक होता है और अगर यह देशव्यापी है, तो तकलीफ और भी बढ़ जाती है. देश में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) ऐसा ही व्यापक कर बदलाव है. जीएसटी आजादी के बाद का सबसे अहम आर्थिक सुधार है. इससे कर व्यवस्था दुरुस्त होगी, पारदर्शिता बढ़ेगी.
इसमें कोई शक नहीं है कि बदलाव इतने व्यापक हैं कि उन्हें लागू करना कष्टकारी साबित होगा. लेकिन, बाद में धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जायेंगे. यह भी सच है कि कच्चे बिल पर कारोबार करनेवालों को अब अपने तौर तरीके बदलने होंगे. उन्हें भी टैक्स के दायरे में आना ही होगा, अन्यथा उनके कष्ट के दिन शुरू होने वाले हैं.
भारत में टैक्स की व्यवस्था अब तक जटिल रही है. केंद्र और राज्य सरकारों के वस्तु व सेवाओं पर 17 तरह के टैक्स लगते हैं और अब इन सबकी जगह जीएसटी ले रहा है. अब वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग लगने वाले सभी कर जीएसटी में समाहित हो जायेंगे. इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जायेंगी (कुछ अपवादों को छोड़ कर). मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ते होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि नयी व्यवस्था से अर्थव्यवस्था को भारी फायदा होगा. जो उपभोक्ता राज्य हैं, उन्हें ज्यादा फायदा होगा.
जीएसटी की कवायद नयी नहीं है. यह वर्षों से चल रही थी. लेकिन, राज्यों को राजी करने की कड़ी चुनौती और राजनीतिक इच्छाशाक्ति के अभाव के कारण इसमें अड़चन रहा. पूरी कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब जाकर यह लागू हुआ. यह सच है कि जीएसटी को लागू करने के लिए चुनौतियां बहुत बड़ी हैं. जिन पश्चिमी देशों को उदाहरण दिया जाता है, एक तो वे बहुत छोटे मुल्क हैं, उनकी आबादी हमारे एक राज्य के बराबर है. दूसरे, उनकी केंद्रीयकृत राजनीतिक व्यवस्था है, टेक्नालॉजी का प्रयोग ज्यादा और सुलभ है. हमारे यहां अलग-अलग दलों की राज्य सरकारें हैं और अमूमन हर राज्य में टैक्स भी अलग है. टेक्नालॉजी की चुनौती अलग है ही.
ऐसा अनुमान है कि भारत में लगभग 10 करोड़ छोटे कारोबारी और दुकानदार हैं. इनमें से करीब 60 फीसदी यानी छह करोड़ कारोबारी कंप्यूटर पर काम करना नहीं जानते हैं. लेकिन, जीएसटी का पूरा ढांचा कंप्यूटर पर आधारित है. जीएसटी का अनुपालन जीएसटीएन नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर सिस्टम के सहारे ही किया जा सकता है. ऐसे लोगों को नयी व्यवस्था में लाने की बड़ी चुनौती है. कारोबारियों और दुकानदारों के दिल में इसको लेकर एक आशंका है.
यही वजह है कि हर शहर में खासकर छोटे कारोबारी सड़कों पर उतरे हैं और उन्होंने अपना विरोध जताया है. उनकी शिकायत है कि उनके पास जीएसटी को लागू करने के लिए आवश्यक ढांचा नहीं है. साथ ही उन्होंने प्रक्रियागत जटिलताओं को लेकर भी सवाल उठाये हैं. जीएसटी की कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि कारोबारी जीएसटी प्रक्रिया को लेकर कितनी जल्दी दक्ष हो पाते हैं. यह दौर चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जल्द ही स्थितियां सामान्य हो जायेंगी. इसमें कोई शक नहीं है कि जीएसटी का फल मीठा है. धैर्य के साथ थोड़ा इंतजार करने की आवश्यकता है.

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