नयी दिल्ली/वुहान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान में दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद शनिवार को यहां लौट आये. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की.
मोदी और शी ने अपनी वार्ता के दौरान सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को रणनीतिक दिशा-निर्देश जारी करने का निर्णय किया. इसके साथ ही कारोबारी मतभेद कम करने, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और अफगानिस्तान में साझा आर्थिक परियोजना को पूरा करने का संकल्प लिया गया. भारतीय खेमा इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति की ओर से भारत के प्रधानमंत्री की खास मेहमाननवाजी पर दी गयी तवज्जो को भी काफी अहम मान रहा है.
इस बीच, चीन ने कहा कि आपसी-संपर्क को लेकर भारत के साथ उसका कोई बुनियादी मतभेद नहीं है और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लेकर वह नयी दिल्ली पर अधिक दबाव नहीं डालेगा. शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद कई अरब डॉलर के इस योजना की शुरुआत की थी. बीआरआई दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा बाधक रहा है. इस योजना के अंतर्गत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) भी शामिल है, जिसका भारत विरोध करता रहा है, क्योंकि यह योजना पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर से होकर गुजरती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दो दिन की अनौपचारिक शिखर बैठक के समाप्त होने के बाद चीन के उप विदेश मंत्री कांग श्वानयू ने कहा, ‘हमें लगता है कि आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के मुद्दे पर चीन और भारत के बीच कोई बुनियादी मतभेद नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक भारत द्वारा बेल्ट एंड रोड को स्वीकार किये जाने की बात है तो मुझे नहीं लगता है कि यह अहम है और चीन इसको लेकर दबाव नहीं डालेगा.’ भारत ने पिछले साल चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था. कांग ने कहा कि चीन और भारत अपने सीमा विवाद का उचित समाधान चाहते हैं.
उप विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश सैन्य और सुरक्षा संपर्क तंत्र को बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे. शी और मोदी की अनौपचारिक बैठक को ‘सफल और मील का पत्थर’ करार देते हुए कहा कि कांग ने कहा कि इस बैठक का लक्ष्य किसी खास समस्या को सुलझाना नहीं था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य संपर्क को मजबूत बनाना, रिश्तों को रणनीतिक दिशा देना और दोनों नेताओं के बीच आपसी विश्वास को बढ़ाना था. मोदी और शी की बातचीत का हिस्सा रहे कांग ने कहा कि पिछले दो दिनों में दोनों नेता सहज और मित्रतापूर्ण माहौल में छह बार मिले. मंत्री ने कहा कि शी ने इस बात पर बल दिया कि चीन और भारत के बीच की समस्याएं ‘अस्थायी’ हैं, लेकिन सहयोग ‘चिरस्थायी’ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात से पूरी तरह सहमत थे कि दोनों पक्षों को अपने मतभेदों को उचित तरीके से दूर करना चाहिए.