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शशि कपूर की मौत की यह ”अजूबा” वजह जानते हैं आप…?

क्या आप जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर स्टारर फिल्म ‘अजूबा’ बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शशि कपूर की मौत की वजह बन गयी. आइए जानें कैसे… शश‍ि कपूर ने 1970 के दशक के आखिरी वर्षों में ‘फिल्‍मवालाज’ नाम से एक प्रोडक्‍शन हाउस खोला था. इसके तहत ‘जुनून’ (1978), ‘कलयुग’ (1981),’36 चौरंगी लेन’ (1981), […]

क्या आप जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर स्टारर फिल्म ‘अजूबा’ बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शशि कपूर की मौत की वजह बन गयी. आइए जानें कैसे…

शश‍ि कपूर ने 1970 के दशक के आखिरी वर्षों में ‘फिल्‍मवालाज’ नाम से एक प्रोडक्‍शन हाउस खोला था. इसके तहत ‘जुनून’ (1978), ‘कलयुग’ (1981),’36 चौरंगी लेन’ (1981), ‘विजेता’ (1982) और ‘उत्‍सव’ (1984) जैसी फिल्में बनीं.

इन फिल्मों को कला के पारखियों ने तो खूब सराहा, लेकिन ये बाजार को लुभा पाने में कामयाब नहीं हो पायीं. नतीजा, शशि कपूर को घाटा उठाना पड़ा और मुनाफे के लिए उन्होंने कमर्शियल फिल्मों का रुख किया.

इंडस्ट्री के जानकार बताते हैं कि वर्ष 1985 के आसपास उन्होंने अपने फेवरेट कोस्‍टार अमिताभ बच्‍चन और भतीजे ऋषि कपूर को साथ लेकर एक फिल्म बनाने की योजना बनायी. इस फिल्म का नाम था – ‘अजूबा’.

फिल्म के अन्य कलाकारों में शम्मी कपूर, डिंपल कपाड़िया, अमरीश पुरी, सोनम, सईद जाफरी और दारा सिंह जैसे कलाकार शामिल थे.

शशि कपूर ने अपने इस मेगा प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने के लिए मॉस्को के गॉर्की स्टूडियोज के साथ-साथ कई रूसी कलाकारों को शामिल किया था.

फंतासी कहानी पर आधारित इस फिल्म को बनाने में आठ करोड़ रुपये का खर्च आया था. तब के जमाने में यह भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फिल्मों में गिनी जाती थी.

यह शशि कपूर का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था. इसे वह फॉर्मूला फिल्म मानते थे. फिल्म की छोटी-से छोटी बारीकियों को लेकर भी वह सचेत रहते थे. शायद इसी वजह से यह फिल्म काफी लंबी खिंच गयी और इसे पूरा होने में लगभग पांच साल का समय लग गया.

‘अजूबा’ की एक और अनूठी बात यह थी कि शशि कपूर के निर्माण में बनी अन्य फिल्मों से अलग, इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया था. बहरहाल, यह फिल्म वर्ष 1991 में रिलीज हुई. लेकिन इसे दर्शकों का वैसा रिस्पॉन्स नहीं मिला, जैसी शशि कपूर ने उम्मीद की थी.

‘अजूबा’ की असफलता ने शशि कपूर का घाटा और बढ़ा दिया. बाद में कुछ संपत्ति बेच कर उन्होंने अपना कर्ज चुकाया.

उन दिनों शशि कपूर के मैनेजर रहे बकुल के मुताबिक, ‘अजूबा’ के घाटे ने शशि कपूर को अस्पताल पहुंचा दिया था. और उसके बाद तो उनकी बीमारी का सिलसिला चल पड़ा, जो उनकी मौत पर ही जाकर थमा.

शशि कपूर कितने नेकदिल इंसान थे, इसे एक घटना से जाना जा सकता है.वर्ष 1987 की एक घटना का जिक्र करते हुए बकुल बताते हैं, शशि जी ‘अजूबा’ फिल्म पर काम कर रहे थे.

रुपये-पैसे की तंगी थी और फिल्म जल्दी पूरी करनी थी. एक दिन उन्हें पता चला कि क्रूमेंबर्स के लिए कुक का काम करनेवाली महिला की बेटी को दिल की बीमारी है.

बकुल कहते हैं, शशि जी ने मुझे बुलाया और पचास हजार रुपये देकर कहाकि ये पैसे नानावटी अस्पताल में डॉ शरद पांडे को दे आओ. डॉ शरद पांडे अभिनेता चंकी पांडे के पिता हैं,जो उन दिनों नानावटी में हार्ट सर्जन थे.

उन्होंने डॉ पांडे को कहा कि बच्ची को अस्पताल में भर्ती कर तत्काल इलाज शुरू कर दें. इलाज के बाद वह बच्ची आज स्वस्थऔर खुशहाल जीवन जी रही है.

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