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कन्या शिक्षा के बढ़ावा के लिए राजनीतिक सहयोग अहम

प्रभात खबर जन संवाद में वक्ताओं ने की मांग प्राइवेट व अंगरेजी स्कूलों के प्रति अतिशय लगाव चिंताजनक पर्याप्त संख्या में हिंदी व उर्दू सरकारी बालिका स्कूलों का होना जरूरी अमित शर्मा/एस राउत कोलकाता बालिकाओं को शिक्षित करने व उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपनी ओर से […]

प्रभात खबर जन संवाद में वक्ताओं ने की मांग
प्राइवेट व अंगरेजी स्कूलों के प्रति अतिशय लगाव चिंताजनक
पर्याप्त संख्या में हिंदी व उर्दू सरकारी बालिका स्कूलों का होना जरूरी
अमित शर्मा/एस राउत
कोलकाता
बालिकाओं को शिक्षित करने व उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद कई इलाकों में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. काशीपुर इलाके की बात करें, तो वहां स्थित एक सरकारी बालिका विद्यालय मेें पढ़ने के लिए बरानगर ही नहीं, बल्कि बैरकपुर से भी लड़कियां आती हैं. इलाके के हिंदीभाषी और उर्दूभाषी लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है.
वैसे हिंदीभाषी लोगों का प्राइवेट और अंगरेजी माध्यम के स्कूलों के प्रति अतिशय लगाव भी चिंता का विषय है. समय के साथ चिंता गहराती जा रही है. हालांकि यह भी सही है कि केवल प्रशासन व सरकार को दोषी ठहराना उचित नहीं है. कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पहले हमें जागरूक होना होगा. कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त स्कूलों के निर्माण में राजनीतिक व प्रशासनिक सहयोग भी काफी अहम है. बालिका विद्यालयों की स्थापना के लिए लोगों को आवाज बुलंद करनी होगी. केवल कहने से ही नहीं, बल्कि लगातार आंदोलन व कार्यों से समस्याओं का समाधान एक दिन जरूर निकलेगा.
ये बातें जैन कॉलेज के रेक्टर ओपी सिंह ने कही हैं. वह ‘प्रभात खबर जन संवाद’ में मुख्य अतिथि थे. जन संवाद परिचर्चा का विषय ‘कन्या शिक्षा व स्कूलों की कमी’ था. कार्यक्रम ‘आयुष’ के सहयोग से काशीपुर रोड स्थित आयुष सभागार में हुआ. जन संवाद के कार्यक्रम में राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा, समाज सेवा से जुड़े विशिष्ट लोगों के अलावा बड़ी संख्या में युवा वर्ग शामिल हुआ. कार्यक्रम का संचालन शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता सुनील राय ने किया.
मौके पर प्रभात खबर कोलकाता संस्करण के प्रसार विभाग के प्रबंधक देवाशीष ठाकुर मौजूद थे. पेश है उपरोक्त मुद्दे पर विशिष्ट लोगों की राय :
राजेंद्र गुप्ता (अधिवक्ता) : काशीपुर से बागबाजार तक लड़कियों के स्कूल की कमी है. इतने बड़े इलाकेे में एकमात्र सरकारी हिंदी बालिका विद्यालय है. यदि इस मुद्दे पर चर्चा हो, तो हमेें काफी पीछे जाना होगा. इस इलाके मेें केएमसी का स्कूल है, जिस पर सरकारी धन खर्च होता है, लेकिन उसका क्या सदुपयोग होता है, यह अहम प्रश्न है. इलाके में कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और इलाके में सरकारी हिंदी बालिका विद्यालय की स्थापना को लेकर कई बार प्रशासन से आग्रह किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
रंजीत झा, सामाजिक कार्यकर्ता : शिक्षा के स्तर पर राज्य व केंद्र सरकार ने काफी खर्च किये हैं. पर, कन्या शिक्षा को और बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिए. काशीपुर में आदर्श बालिका विद्यालय ही एकमात्र हिंदीभाषी लड़कियों के लिए मान्यता प्राप्त विद्यालय है. इतने बड़े इलाके में कन्या शिक्षा के लिए एक ही सरकारी बालिका विद्यालय है.
रामनाथ यादव, शिक्षक : लगभग 11 वर्षों से मैं शिक्षण कार्य से जुड़ा हूं. कई ऐसे भी हिंदी बालिका विद्यालय हैं, जिन्हें प्रशासनिक तौर पर मान्यता भी प्राप्त नहीं है. इसका असर कन्या शिक्षा पर पड़ता है. कई दफा सरकार व प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन फायदा नहीं हुआ.
केडी राय, सचिव, आदर्श बालिका विद्यालय : मैं 45 वर्षों से इस स्कूल से जुड़ा हुआ हूं. मेरा दावा है कि 45 वर्षों के दौरान काशीपुर इलाके में एक भी सरकारी हिंदी बालिका विद्यालय की स्थापना नहीं हुई है. आदर्श बालिका विद्यालय में लगभग साढ़े चार हजार छात्राएं पढ़ती हैं. स्कूल को चलाने के लिए लगभग 82 शिक्षकों व कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन मात्र 33 शिक्षक व कर्मचारी ही मौजूद हैं. मौजूदा समय में स्कूल में कई सारी समस्याएं हैं.
डॉ एपी राय, हेडमास्टर, आदर्श माध्यमिक विद्यालय : काशीपुर इलाके में हिंदीभाषी लोगों की संख्या अधिक है. इसके बावजूद 40 वर्षों के दौरान इलाके में कोई नया हिंदी विद्यालय नहीं खुला है. सबसे ज्यादा समस्या छात्राओं को होती है. हमें इलाके में नये हिंदी विद्यालय खुलवाने के लिए जागरूक होना होगा.
मोहम्मद अफसर, सामाजिक कार्यकर्ता : केवल काशीपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कन्या शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है. सरकार शिक्षा पर बहुत खर्च करती है, लेकिन क्या खर्च सही जगह होता है? काशीपुर जैसे इलाके में हिंदीभाषी और उर्दूभाषी बालिका विद्यालयों की काफी जरूरत है.
श्रीनाथ साव, व्यवसायी : अभी राजनीति से जुड़े लोगों का मतलब बस अपने फायदे से है. हिंदीभाषियों के साथ पक्षपात हो रहा है. लड़कियों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने का मौका नहीं मिल रहा है, क्योंकि बालिका विद्यालयों की काफी कमी है.
परिचर्चा के दौरान जेपी पांडेय, सीताराम यादव, राजेश साव, शेख संजू, रवींद्र शर्मा, सनोज कुुमार राय, शिव प्रसाद, विजय हरि, गोविंद पांडेय, अभिषेक कुमार सिंह, मनोज यादव, अभिषेक कुमार ओझा, सौरभ कुमार, बलराम कुमार झा, विकास कुमार सिंह, आनंद कुमार सिंह, श्रीकांत पात्र, आशुतोष ओझा, कार्तिक जायसवाल, रूपेश कुमार अग्रहरि, अच्छे लाल, अरिंदम पाल, केडी राय, अधीर कुमार यादव, संतोष कुमार गुप्ता समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे.

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