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कारगर साबित हो रहा है दीदी का फॉर्मूला, ममता से मिलने आयेंगे चंद्रबाबू

नवीन कुमार राय, कोलकाता : लोकसभा चुनाव के लिए अब कुछ महीने ही बाकी हैं. इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. सबसे ज्यादा हलचल विपक्ष के खेमे में है. वजह है भाजपा के विकल्प में कोई अकेली पार्टी नहीं है. लिहाजा विरोधी दल नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में चल रही […]

नवीन कुमार राय, कोलकाता : लोकसभा चुनाव के लिए अब कुछ महीने ही बाकी हैं. इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. सबसे ज्यादा हलचल विपक्ष के खेमे में है. वजह है भाजपा के विकल्प में कोई अकेली पार्टी नहीं है. लिहाजा विरोधी दल नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में चल रही भाजपा को दोबारा सरकार में आने से रोकने के लिए महागठबंधन की जरूरत पर बल दे रहे हैं. शुरू में यह काम ममता बनर्जी ने संभाला था.
ममता ने भाजपा विरोधी गठबंधन को मजबूत करने के लिए एक साल पहले विभिन्न पार्टियों के नेताओं से मिलकर महागठबंधन की नींव रखी थी. इस बीच उनका प्रयास थम-सा गया. लिहाजा अब यह कमान चंद्रबाबू नायडू ने संभाली है. इस कड़ी के तहत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नायडू कोलकाता आकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलनेवाले हैं, ताकि उनके प्रयास को तेज किया जा सके.
इससे पहले ममता ने एनडीए में शामिल घटक दल, जो भाजपा से नाराज थे, उनसे भी बातचीत शुरू कर दी थी. इसमें नीतीश कुमार और शिव सेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे शामिल थे. ममता बनर्जी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल और कल्पेश ठाकोर से भी मिली थीं.
इस दौरान एनडीए से दूर हुए चंद्रबाबू अब भाजपा के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं.
उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में विरोधी दलों का गठबंधन बनाने के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया है. बीते दिनों वह नयी दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर इस बाबत अपना पक्ष भी रख चुके हैं. चंद्रबाबू नायडू का मानना है कि कांग्रेस को सामने रखकर सभी विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ें. अपनी इस थ्योरी को लेकर वह कर्नाटक जाकर देवगौड़ा और कुमार स्वामी से भी मुलाकात कर चुके हैं.
अब उनका अगला पड़ाव बंगाल है. राजद और समाजवादी पार्टी के नेता फिलहाल पारिवारिक कलह के कारण परेशान हैं. इस वजह से वह लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह से अभी नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा ममता से मिलने के बाद वह अरविंद केजरीवाल से भी मिलेंगे. ऐसा उनके करीबी बताते हैं. चंद्रबाबू के करीबी लोगों का कहना है कि वह अपनी कवायद जारी रखे हुए हैं. इसमें तेजी पांच राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखने के बाद आयेगी. अगर इन पांच राज्यों के चुनाव में मतदाता भाजपा को खारिज कर देता है, तो खुद कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो जायेगी. तब विरोधी दलों के सामने कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से कोई परहेज नहीं होगा.

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