37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

टाटा स्टील यूरोप के फैसले से डेविड कैमरुन सकते में, खोज रहे उपाय

नयी दिल्ली : टाटा स्टील यूरोप के बंद होने की खबर ने एक ओर जहां बिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन को सकते में डाल दिया है. वहीं यूरोपीयन नेता इस समस्या के निपटने के उपाय तलाश रहे हैं. कैमरन ने स्‍टील सेक्टर को इस मंदी से उबारने का भरोसा दिलाया है. वहीं कई नेता और […]

नयी दिल्ली : टाटा स्टील यूरोप के बंद होने की खबर ने एक ओर जहां बिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन को सकते में डाल दिया है. वहीं यूरोपीयन नेता इस समस्या के निपटने के उपाय तलाश रहे हैं. कैमरन ने स्‍टील सेक्टर को इस मंदी से उबारने का भरोसा दिलाया है. वहीं कई नेता और श्रमिक संगठन स्टील सेक्टर को सरकार द्वारा अधिग्रहण करने की लाह दे रहे हैं. 2007 में टाटा स्टील ने जब ‘कोरस’ को खरीदा था तब से आज तक कंपनी नुकसान उठाता आ रहा है. सबसे बड़ा नुकसान कंपनी को 2015 के दिसंबर तिमाही में हुआ है. टाटा की कंपनी बंद होने से हजारो श्रमिकों की नौकरी खतरे में पड़ेगी. लागत में कटौती करने में कई वैश्विक कारणों से नाकाम रही कंपनी घाटे के कारण अपने स्टील कारोबार को ब्रिटेन से समेटने की तैयारी में है. कंपनी ने कारखाने को बेचने की तैयारी कर ली है. टाटा के इस फैसले से करीब 17, 000 लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. लोगों ने इस फैसले के खिलाफ एक वीडियो बनाया है, जो खूब चर्चा में आ चुका है.

चीन का सस्ता स्टील है घाटे का मुख्य कारण

टाटा स्टील का ब्रिटेन के लिए यह फैसला सिर्फ रोजगार का ही संकट पैदा नहीं करेगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था के लिए भी यह नुकसानदेह साबित होगा. ब्रिटेन में महंगा ईंधन और चीन की ओर से सस्ते स्टील की आपूर्ति टाटा के इस फैसले का मुख्‍य कारण है. हालांकि ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरून इस समस्या से निपटने के लिए अपने सांसदों के साथ बैठक करने वाले हैं. गौरतलब है कि ब्रिटेन में स्टील उद्योग इस समय भारी मंदी में है और टाटा स्टील को भी लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. टाटा ने मंदी से निबटने के लिए पहले भी कर्मचारियों की छंटनी की थी. टाटा ने कंपनी को बंद करने की घोषणा दो दिन पहले की है. कंपनी के एसेट की बिक्री के बारे में अभी भी कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और ना ही खरीदार के बारे में कुछ बताया जा रहा है. वहीं विदेशी मीडिया में खबरे आ रही हैं कि टाटा की यूरोप इकाई के लिए यूरोपीय देश खरीदार तलाश रहे हैं.

विदेश दौरा बीच में छोड़कर देश लौटे डेविड कैमरुन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने राष्ट्र को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार संकट में फंसे इस्पात उद्योग की मदद के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि हजारों नौकरियां बचाई जा सकें इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है. हालांकि, उन्होंने इसके साथ ही यह भी चेताया कि इसमें सफलता मिलेगी इसकी गारंटी नहीं है. मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कैमरुन ने कहा कि हजारों नौकरियों पर संकट एक मुश्किल चुनौती है और सरकार हरसंभव प्रयास करेगी, लेकिन उन्होंने चेताया कि इसमें सफता की कोई गारंटी नहीं है. कैमरुन अपने स्पेन की यात्रा को बीच में ही छोडकर लंदन लौटे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकरण इसका समाधान नहीं है, लेकिन सरकार किसी भी चीज से इनकार नहीं कर रही है. टाटा स्टील (जो कि भारत के 100 अरब डालर के टाटा समूह की अग्रणी कंपनी है) ने कहा है कि वह उसने पोर्टफोलियो पुनर्गठन के लिये सभी संभव विकल्पों पर विचार करने का फैसला किया है. इसमें टाटा स्टील ब्रिटेन इकाई के कुछ हिस्से अथवा समूची इकाई की बिक्री भी संभावित है.

2007 में टाटा स्टील ने किया था ‘कोरस’ का अधिग्रहण

टाटा स्टील ने 2007 में 14.2 अरब डॉलर (अब करीब 94,000 करोड़ रुपये) में एंग्लो-डच कंपनी ‘कोरस’ को खरीदा था. इसके लिए इसने 10.5 अरब डॉलर कर्ज लिया था. इस खरीद के एक साल बाद ही 2008 में आर्थिक मंदी आ गयी. इस मंदी से वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी तक उबर नहीं पायी है. ‘कोरस’ को खरीदते समय टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा थे. लेकिन बाद में उन्होंने कहा था, ‘अगर पता होता कि ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस आने वाला है तो यह डील नहीं करता.’ कंपनी ने यह बड़ा फैसला दिसंबर 2015 के घाटे के बाद लिया है. कंपनी को दिसंबर में 675 करोड़ का घाटा हुआ था. छटनी, एसेट सेलिंग और मॉडर्नाइजेशन के बावजूद टाटा स्टील यूरोप फायदे में नहीं आ सकी. इससे पहले वाली तिमाही में कंपनी का घाटा 365 करोड़ था. कंपनी ने जनवरी में 1,050 लोगों को निकालकर घाटे को पाटने का प्रयास किया. अक्तूबर से अब तक कंपनी 3,000 लोगों को हटा चुकी है.

सरकार द्वारा अधिग्रहण एक विकल्प, लेकिन घाटे की भरपाई मुश्किल

डेविड कैमरुन ने इस बात से भी इंकार नहीं किया है कि स्टील सेक्टर को उबारने के लिए सरकार कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है. हालांकि कैमरुन ने कहा कि इसके क्या परिणाम होंगे, इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. कैमरुन ने कहा कि सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी हम कितने कामयाब होंगे यह बताना मुश्किल है. चीन की ओर से सस्ते स्टील के निर्यात के कारण स्टील उद्योग के सामने जो खतरा खड़ा हुआ है. उससे उबरना मुश्किल है. हालांकि विशेषज्ञों की राय में आर्थिक मंदी ने स्टील उद्योग को यूरोप में भारी नुकसान पहुंचाया है. वहीं निर्माण क्षेत्र के कार्यों की कमी के कारण भी स्टील उद्योग को नुकसान पहुंचा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें