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यदि आप गंभीर अभिनेता हैं और सिनेमा आपको नजरअंदाज करता है तो ये घातक हो सकता है : दीप्ति नवल

मुंबई : जानीमानी अभिनेत्री दीप्ति नवल अभिनय को जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका मानती हैं और लगभग चालीस वर्षों के करियर में उन्होंने दिल टूटने और काम की कमी के बीच अपने लिए रास्ता बनाया है. हालांकि, वह शुक्रगुजार हैं कि चढ़ाव और उतार के दौरान उनमें कभी भी ‘‘पेचीदगी” नहीं आई. नवल को […]

मुंबई : जानीमानी अभिनेत्री दीप्ति नवल अभिनय को जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका मानती हैं और लगभग चालीस वर्षों के करियर में उन्होंने दिल टूटने और काम की कमी के बीच अपने लिए रास्ता बनाया है. हालांकि, वह शुक्रगुजार हैं कि चढ़ाव और उतार के दौरान उनमें कभी भी ‘‘पेचीदगी” नहीं आई. नवल को मुख्य धारा के सिनेमा में आने की काफी सलाह मिली, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने समानांतर सिनेमा में अपना करियर बनाया. वह बताती हैं कि उनसे कहा जाता था समानांतर सिनेमा में कुछ नहीं बचा है, ‘‘इसे कोई नहीं देखता है.”

लेकिन, उन्होंने 80 के दशक में चश्मे बद्दूर, अनकही, मिर्च मसाला जैसे फिल्मों में काम करना जारी रखा. उन्होंने हाल में अमेजन प्राइम वीडियो के ‘‘मेड इन हैवन” में अभिनय किया.

नवल ने बताया, ‘प्रत्येक दशक में फिल्मों का एक नया ट्रेंड होता है. दर्शकों द्वारा किसी नई चीज को अधिक पसंद किया जाता है, कोई नई चीज अधिक लोकप्रिय होती है. जाहिर तौर पर लोग कहते हैं कि आपको अपने करियर को नई चीज के साथ जोड़ने की जरूरत है, लेकिन आप जो करने में विश्वास रखते हैं, उसके साथ जुड़े रहना चाहिए.”

उन्होंने कहा, ‘आप जो काम करते हैं, उसके साथ डटे रहिए. सिनेमा में ट्रेंड तो लगातार बदलता रहेगा, लेकिन इस चुनौतिपूर्ण परिदृश्य में वैसा काम कीजिए, जैसा आप करना चाहते हैं. जो आपको सही लगता हो, उसे ही चुनिए.’ अपने चार दशक के करियर के आधार पर 67 वर्षीया अभिनेत्री ने कहा कि अपने दृढ़ निश्चय के साथ डटे रहना हमेशा कठिन नहीं होता है, लेकिन एक छोटा दौर खासतौर से कठिन हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘जब मैंने महसूस किया कि जिस तरह का सिनेमा मैं करना चाहती हूं, वह नहीं है तो मैंने अपने मन की बात सुनी. शबाना (आजमी), मैं, स्मिता पाटिल, ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख हम सभी के लिए 80 का दशक शानदार था, उस समय हमने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया.”

उन्होंने आगे बताया, ‘उसके बाद 90 के दशक में भाग्यवश कुछ काम आया, लेकिन 90 के दशक के अंतिम वर्षों में मैंने अनुभव किया कि बहुत कुछ नहीं हो रहा है और मुझे वैसा काम नहीं मिल रहा है, जैसा मैं करना चाहती हूं.”

वह कहती हैं कि अगर उन्होंने अपनी सृजनात्मकता के नए आयाम नहीं खोजे होते तो यह दौर उनके लिए बहुत भारी साबित होता. उन्होंने बताया, ‘मैं लंबे समय से लिख रही थी, लेकिन (उस दौर में) मैं चित्रकारी करने लगी, क्योंकि मुझे लगा कि परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, मुझे हर हालत में रचनात्मक होना होगा. मेरी रचनात्मक प्रक्रिया बंद नहीं होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि अगर आप एक गंभीर अभिनेता हैं और आप यहां सिनेमा का हिस्सा बनने आए हैं और सिनेमा आपको नजरअंदाज करता है तो ये सदमा पहुंचाने वाला हो सकता है. नवल के लिए ये दौर कुछ वर्षों तक चला और फिर उन्होंने फिराक, मैमेरीज ऑफ मार्च और लिसेन अमाया जैसी फिल्मों में काम किया.

उन्होंने कहा, ‘मेरी पेंटिंग और लेखन साथ में चलते रहे. यही वजह है कि जहां मुमकिन है मेरे साथियों ने 300 फिल्में की, मैंने करीब 100 फिल्में ही कीं, जिसमें से मैं कह सकती हूं कि 30-35 फिल्मों पर मुझे गर्व है.’

उन्होंने कहा, ‘आप अपने हिस्से की निराशाओं और कुंठाओं के बिना फिल्म उद्योग में नहीं रह सकते. लेकिन जब तक आप अपनी हिम्मत से डटे रहते हैं और उन भूमिकाओं को चुनते हैं, जिन्हें आप वास्तव में करना चाहते हैं, आपकी पूरी यात्रा सार्थक हो जाती है.” नवल को हाल ही में जियो एमएएमआई मुंबई फेस्टिवल में ‘सिनेमा में उत्कृष्टता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया.

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