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महाराष्ट्र: सोनिया, पवार और गठबंधन की पहेली

<figure> <img alt="ठाकरे, सनिया, पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/130D2/production/_109743087_d8a801a6-521a-4b01-8078-665f4ed0ccc3.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>सुनने में ये बात भले ही विरोधाभासी लगे, लेकिन मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर ऐसे ही चिंतित नहीं है. ऊपर से तो ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती हैं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की […]

<figure> <img alt="ठाकरे, सनिया, पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/130D2/production/_109743087_d8a801a6-521a-4b01-8078-665f4ed0ccc3.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>सुनने में ये बात भले ही विरोधाभासी लगे, लेकिन मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर ऐसे ही चिंतित नहीं है. ऊपर से तो ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती हैं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बने लेकिन अगर इस तरह की गठबंधन सरकार नहीं भी बन पाती है तो वो ज़्यादा परेशान नहीं होंगी. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50378575?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र में बीजेपी जीतकर भी कैसे हार गई?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50395387?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र: शिव सेना, NCP और कांग्रेस- पिक्चर अभी बाकी है</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50314251?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार बीते पांच सालों में बीजेपी को लेकर कैसे बदले?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49747470?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र: क्या लड़ाई बीजेपी बनाम शरद पवार है</a></p><p>महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सोनिया गांधी के इस समय तीन अहम सलाहकार हैं, अहमद पटेल, एके एंटनी और सुशील कुमार शिंदे. लेकिन इन तीनों के अलावा राहुल और प्रियंका गांधी भी सबसे ख़ास सलाहकार बने हुए हैं. </p><p>राहुल और प्रियंका की किसी भी राय को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इन सारे सलाहकारों में एक बात जो कॉमन है वो ये कि वो कांग्रेस पार्टी के कोई बहुत ज़्यादा साहसिक क़दम उठाने के पक्ष में नहीं हैं.</p><h1>सोनिया की कश्मकश</h1><p>सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठता को बहुत अहमियत देती हैं और अपनी राजनीतिक विरासत को देखते हुए वो कांग्रेस पार्टी की कोर विचारधारा धर्मनिरपेक्षता से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं चाहती हैं. वो नहीं चाहती हैं कि इतिहास में कोई उन्हें कांग्रेस के एक ऐसे नेता की तरह याद करे जिसने धर्मनिरपेक्षता के साथ समझौता किया.</p><p>लेकिन साथ ही साथ सोनिया गांधी के अंदर का राजनेता ये भी नहीं चाहता कि कांग्रेस के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को महाराष्ट्र में सरकार बनाने से रोकने का मौक़ा हाथ से जाने दिया जाए.</p><figure> <img alt="पवार, फडणवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/157E2/production/_109743088_91b546e8-3703-44b0-8226-25376e17e3b4.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कांग्रेस की मुखिया होने के नाते वो जानती हैं कि महाराष्ट्र का क़रीब-क़रीब हर एक कांग्रेसी एमएलए चाहता है कि प्रदेश में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार बने. </p><p>अगर शिवसेना के प्रस्ताव को कांग्रेस ने एक सिरे से ख़ारिज कर दिया होता तो इस बात की पूरी आशंका है कि पार्टी के महाराष्ट्र यूनिट में बग़ावत हो जाती. इसीलिए सोनिया की सबसे बड़ी चुनौती इस समय यही है कि वो गठबंधन की राजनीति से अपनी स्वाभाविक असहजता और महाराष्ट्र में पार्टी को एकजुटता दोनों में कैसे तालमेल बिठा कर रखें.</p><p>सोनिया गांधी अगर इसी विरोधाभास को संभालने में लगी हैं तो उधर एनसीपी प्रमुख शरद पवार खांटी राजनीतिक हितों को देखते हुए अपने फ़ैसले कर रहे हैं. </p><h1>पवार की खांटी राजनीति</h1><p>महाराष्ट्र में एक वैकल्पिक सरकार के लिए गठबंधन तैयार करने में पवार एक मुख्य प्लेयर की तरह देखे जा रहे थे, लेकिन तभी उन्होंने इस बारे में दोबारा सोचना शुरू किया. अब तक पवार ने अपने सारे पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार के बनने में देरी इस बात की तरफ़ इशारा कर रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है और सोनिया और पवार मिलकर चाहते हैं कि बीजेपी कम से कम एक बार और सरकार बनाने की कोशिश करे.</p><p>वैसे देखा जाए तो बीजेपी के पास शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने का एक दूसरा मौक़ा तो है ही, या फिर वो पवार के साथ भी हाथ मिला सकती है.</p><figure> <img alt="फडणवीस, मोदी, ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/17EF2/production/_109743089_e0e0604a-33f5-4403-a961-7157c6016c97.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>या फिर तीसरे विकल्प के तौर पर बीजेपी के विरोधी पार्टी के विधायकों को तोड़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. पवार इस मामले में माहिर हैं कि सबको भरम में रखने के लिए वो कभी विचारधारा की बात करेंगे तो कभी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात करेंगे.</p><p>राजनीतिक पिच पर ‘दूसरा’ फेंकने की पवार की इसी कला के कारण ही तो उन्हें राजनीति में दिग्गज कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पूरी तरह विश्वास करने योग्य न होना पवार के लंबे राजनीतिक करियर का एक प्रमुख हिस्सा रहा है. </p><h1>युवा पवार बने मुख्यमंत्री</h1><p>जब 1978 में केवल 38 साल की उम्र में पवार पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इसके लिए धोखेबाज़ी से कांग्रेस के वसंतदादा पाटिल की सरकार को गिरा दिया था.</p><p>पवार ने पहले तो सदन के अंदर वसंतदादा पाटिल के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव को गिराने में उनकी मदद की और फिर गवर्नर सादिक़ अली के पास पहुँचकर कहा कि वो ख़ुद जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं.</p><figure> <img alt="फडणवीस, ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/234A/production/_109743090_03eff87e-0b44-4f1f-b5f8-fa38a4cc3ecf.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>आज के भारत में 79 साल के पवार देश के सबसे दिग्गज नेताओं में से एक हैं. लेकिन उनके लंबे राजनीतिक करियर को पलट कर देखा जाए तो इसमें उनके कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं.</p><h1>प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा</h1><p>राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जब सत्ता में आई तो पवार एक समय प्रधानमंत्री बनने के बहुत क़रीब पहुँच गए थे. सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था और उन्होंने राजनीति में किसी भी सीधे हस्तक्षेप ने साफ़ इनकार कर दिया था. पवार ख़ेमे के लोग सक्रिय हो गए थे और सुरेश कलमाड़ी जैसे लोगों के साथ डिनर पर बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया था.</p><p>कांग्रेस पार्टी के लिए ये दुख की घड़ी थी क्योंकि उनके नेता की हत्या हो गई थी और इसलिए पवार का ये रवैया उनके लिए नुक़सानदेह साबित हुआ. उन्हें कुल मिलाकर केवल 54 सांसदों का समर्थन मिल सका.</p><p>पवार ने अर्जुन सिंह जैसे नेताओं के साथ भी दो-दो हाथ किए लेकिन इस लड़ाई में कांग्रेस के अधिकतर नेताओं ने पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाना बेहतर समझा.</p><p>पवार ने ख़ामोशी से राव कैबिनेट में रक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाल ली, लेकिन इस उम्मीद के साथ कि राव की ख़राब सेहत या राजनीतिक मजबूरी के कारण जल्द ही वो कांग्रेस के अध्यक्ष बन सकते हैं या फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी उन्हें मिल सकती है.</p><p>लेकिन अध्यक्ष या पीएम की कुर्सी तो दूर राव ने उनके पर कतरते हुए 1993 में मुंबई में हुएं दंगों के बाद उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर वापस भेज दिया.</p><figure> <img alt="पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/716A/production/_109743092_f8cb49b1-4a80-46f6-82b3-3bf4f80b89a8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पवार 1995 का विधानसभा चुनाव हार गए जिसके बाद पहली बार महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी.</p><h1>सियासी दाव पेच या धोखेबाज़ी</h1><p>जब जैन हवाला कांड सामने आया तो उस समय किसी ने तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री शंकरराव चाव्हाण से पूछा कि जैन हवाला कांड में पवार का नाम क्यों नहीं आया तो गृहमंत्री का जवाब था, ”क्या आप नहीं जानते हैं कि हवाला का सारा कारोबार विश्वास पर होता है?”</p><p>15 मई 1999 को दिल्ली में रक़ाबगंज स्थित अपने सरकारी आवास पर पवार ने एक दावत दी. सबने यही सोचा था कि सोनिया गांधी के ज़रिए उन्हें जयललिता और दूसरे सहयोगी से बातचीत की ज़िम्मेदारी दिए जाने की ख़ुशी में पवार ने दावत दी है. </p><p>बेहतरीन शराब से मेहमानों की ख़ातिर मदारत के बीच पवार ने कहा थाा- मैंने अपनी नेता (सोनिया गांधी) से कहा कि मैं एक दूरद्शी व्यक्ति हूं क्योंकि मैंने 20 साल पहले एक इतालवी कंपनी से ये शराब बनाने का व्यापारिक समझौता किया था.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49963349?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनावः शरद पवार की मांद में कैसे घुसी बीजेपी </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50403438?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार के लिए महाराष्ट्र की महाभारत कितनी बड़ी चुनौती?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50459678?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र: शरद पवार-सोनिया मुलाक़ात, सरकार पर सस्पेंस क़ायम</a></p><p>उन्होंने कहा कि वो पिछले कई वर्षों में अपने क्षेत्र बारामती में शरद सीडलेस के नाम से एक ख़ास तरह का अंगूर उगा रहे हैं जिससे वो शराब बनाते हैं.</p><p>ठीक दो दिनों के बाद जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में हर कोई गोवा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को फ़ाइनल करने में लगा था ताकि क्रिकेट विश्वकप में भारत और इंग्लैंड का मैच देखा जा सके तभी शरद पवार मुस्कराए और पीए संगमा ने कहना शुरू किया कि बीजेपी ने सोनिया गांधी के विदेशी मुद्दे को जिस तरह से उठाया है उसका असर दूर-दराज़ के गांव-देहात में देखा जा रहा है. </p><p>पवार को कांग्रेस से निकाल दिया गया लेकिन सिर्फ़ छह महीने के अंदर उनकी पार्टी एनसीपी ने सोनिया गांधी की कांग्रेस पार्टी के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाया. कई साल पहले उर्दू के कवि मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा था, </p><p>हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,</p><p>बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले.</p><p>79 साल के पवार के पास योग्यता भी है और इच्छा भी कि एक बार फिर किंगमेकर बनें. वो किधर जाएंगे ये तो समय ही बताएगा. इस ताक़तवर मराठा के पास इस समय मौक़ा है कि वो अपने कई विरोधियों से हिसाब चुका सकें और अपनी पार्टी एनसीपी को एक नया जीवन दें.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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