केंद्र सरकार के विनिवेश के फैसले से श्रमिकों में नाराजगी
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दुर्गापुर के एलॉय स्टील प्लांट को लेकर फिर लामबंद हुए श्रमिक संगठन
केंद्र सरकार के विनिवेश के फैसले से श्रमिकों में नाराजगी निर्देश की खबर मिलते ही श्रमिक संगठनों में बढ़ी हलचल दुर्गापुर : लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र सरकार ने भारतीय ईस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के तीन विशेष ईस्पात उत्पादन करने वाली इकाई का सौ प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. इसमें […]
निर्देश की खबर मिलते ही श्रमिक संगठनों में बढ़ी हलचल
दुर्गापुर : लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र सरकार ने भारतीय ईस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के तीन विशेष ईस्पात उत्पादन करने वाली इकाई का सौ प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. इसमें से एक दुर्गापुर स्थित एलाय स्टील प्लांट भी शामिल है. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इसके लिए विक्रय और विनिवेश और जन संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) को जरूरी निर्देश दिया है. सरकार के इस निर्देश की जानकारी के बाद शहर दुर्गापुर के श्रमिक संगठनो मे रोष देखा जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस सहित सभी दल के श्रमिक संगठन के लोग इस फैसले से नाराज दिख रहे हैं. इस फैसले के खिलाफ वे फिर एकजुट होने लगे हैं.
ज्ञात हो की कुछ महीने पहले सरकार की ओर से एलाय स्टील प्लांट के निजीकरण का फैसला लिया गया था. सभी श्रमिक संगठन के लोग मिलकर इसके विरोध में खड़े हुए थे. तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्लांट गेट के समीप लगातार 87 दिन धरना प्रदर्शन किया गया था. निजीकरण की बात सुनकर एक बार फिर सभी श्रमिक संगठन लामबंद होने लगे हैं. बताया जाता है की सरकार ने सेल के जिन तीन इस्पात की इकाईयों का चयन किया है वे कर्नाटक के भद्रवति स्थित विश्वेश्वर्य आईरन एण्ड स्टील प्लांट, तमिलनाडू के सालेम स्टील प्लांट और पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित एलॉय स्टील प्लांट हैं. सेल के उक्त तीनों इस्पात इकाई लगातार घाटे में चल रही हैं.
केन्द्र सरकार ने विनिवेश करने की रणनीति के तहत इनके 100 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों से बेचने का फैसला किया है. 18 जून को इस पर आखिरी फैसला लेना है. सूत्रों ने बताया कि दो स्तरीय नीलामी के तहत इन इकाईयों के रणनीतिक खरीदार की पहचान की जाएगी. ईस्पात बाजार में फिर से उछाल आने के कारण सरकार को तीनों इकाईयों की अच्छी कीमत मिलेगी. सूत्रों ने बताया कि केन्द्र सरकार जल्द से जल्द इस सौदे की प्रक्रिया पूरी करना चाहती है.
भाजपा को उनके मंसूबों कभी कामयाब नहीं होने देंगे : प्रभात
तृणमूल कांग्रेस के श्रमिक नेता प्रभात चटर्जी का कहना है की एलाय स्टील प्लांट को कभी भी निजी हाथ में सौंपने नहीं दिया जाएगा. पिछली बार की तरह इस बार भी इसके विरोध में तृंका की ओर से जोरदार आंदोलन किया जाएगा. उन्होने कहा की केंद्र सरकार जान बुझकर पब्लिक सेक्टर यूनिट को बंद करने पर तुली है. हानि तो एक बहाना है, सरकार इस कारखाने का आधुनिकीकरण कर इसे नुकसान से उबार सकती है. केंद्र सरकर नए कारखाने लगाने के बजाए पुराने कारखाने को बंदकर लोगों के पेट पर लात मारने पर तुली है. तृंका उनके मंसूबे को कभी भी सफल नहीं होने देगी.
सरकार का यह फैसला पूरी तरह से श्रमिक विरोधी : देवेश
कांग्रेस नेता देवेश चक्रवर्ती का कहना है की सरकार का यह फैसला पूरी तरह से श्रमिक विरोधी है. भाजपा का शुरू से ही निजीकरण का लक्ष्य रहा है और इसे पूरा करने मे जुट गई है. सरकार के इस फेसले के विरोध में सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा. उन्होंने कहा की लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के सांसद उम्मीदवारों ने कारखाने को लेकर बड़ी बड़ी उम्मीदें जताई थी. इस कारण दुर्गापुर के लोगों ने उनपर विश्वास किया. एलाय स्टील प्लांट के निजीकरण के अलावा अन्य रास्तों पर भी विचार करना चाहिए.
श्रमिकों के हक की लड़ाई में वाममोरचा कभी पीछे नहीं रहा : सौरभ
सीटू नेता सौरभ दत्ता कहना है की निजीकरण की नीति भाजपा की पुरानी नीति रही है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से भाजपा इस पर कार्य कर रही है. मोदी सरकार ने भी अपने पहले टर्म से ही इस पर काम शुरू कर दिया था और उनकी इस कोशिश में तृणमूल भी बराबर की जिम्मेदार है. वाजपेयी की सरकार मे तृंका सुप्रिमो ममता बनर्जी मंत्री थी. इसलिए निजीकरण पर कुछ बोलने का हक उन्हे नहीं है. ऐसे भी राज्य सरकार के संचालित उपक्रमों की भी हालत खराब है.
इस वक्त एलाय स्टील प्लांट के निजीकरण होने श्रमिकों के सामने रोटी का संकट पैदा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि श्रमिकों के हक की लड़ाई में वाममोरचा कभी भी पीछे नहीं रही है. पिछली बार भी एलाय स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध मे वाममोरचा ने अग्रणी भूमिका निभाई थी. इस बार भी अग्रणी भूमिका में रहेगी. उन्होने कहा की इस लड़ाई में वे सभी श्रमिक संगठन के लोगो का साथ लेंगे. उनका मानना है की यह लड़ाई राजनीति फायदे की लड़ाई नहीं है, यह दुर्गापुर को बचाए रखने की लड़ाई है.
सभी यूनियन मिलकर करेंगे आंदोलन: इंटक सचिव
एएसपी के इंटक सचिव विकास घटक ने कहा कि केंद्र सरकार के दुर्गापुर एएसपी प्लांट का निजीकरण करने का फैसला बहुत लंबे अरसे से किया जा रहा है. पिछले तीन वर्षों से सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन सीटू, इंटक, एआईटीयूसी, मिलकर इसका विरोध कर रहे हैं. यूनियन के विरोध किए जाने से केंद्र सरकार ने कुछ महीने तक फैसला को और दबा दिया था लेकिन फिर केंद्र सरकार प्लांट को निजीकरण करने का प्रयास शुरू करती है तो सभी यूनियन मिलकर फिर से आंदोलन शुरू करेंगे.
मिश्र इस्पात कारखाना (एएसपी)
मिश्र धातु और विशेष स्टील्स उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, एएसपी की स्थापना जनवरी 1965 में की गई थी. फिलवक्त इस कारखाने में अधिकारी और श्रमिक मिलाकर तकरीबन 1200 लोग कार्यरत है. वही तकरीबन 800 ठेके कार्य कर रहे है. लगभग 4.67 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. मिश्र तथा विशेष इस्पात के उत्पादन में अग्रणी, दुर्गापुर स्थित मिश्र इस्पात कारखाना (एएसपी) आरम्भिक एक लाख टन इस्पात पिण्ड और 60 हजार टन बिक्री योग्य इस्पात उत्पादन क्षमता के साथ शुरू किया गया था. दो चरणों में आधुनिकीकरण के पश्चात इसकी क्षमता 2.46 लाख टन तरल इस्पात और 1.78 लाख टन विक्रेय इस्पात की हो गई है. सम्पूर्ण कारखाने के लिए आईएसओ: 9001:2000 प्रमाणपत्र प्राप्त यह कारखाना, विश्व श्रेणी के उच्च गुणवत्ता वाले मिश्र तथा विशेष इस्पात उत्पादन की आधुनिकतम टेक्नोलॉजी से युक्त है.
कारखाने में एक स्लैब-कम-ट्विन ब्लूम कंटीन्यूवस कास्टिंग मशीन है जो देश में अपनी तरह की एकमात्र मशीन है. यहां ऑस्टेनिटिक और फेरेटिक स्टेनलेस स्टील तथा बुलेटप्रूफ इस्पात सहित अनेक प्रकार के गैर-स्टेनलेस इस्पात की उत्पादन सुविधाएं उपलब्ध हैं. कंटीन्यूवस कास्टिंग मशीन में ब्लूम की ढलाई के लिए माउल्ड में आधुनिक इलेक्ट्रोमेग्नेटिक स्टीर्र लगा हुआ है. एएसपी में 400 से अधिक श्रेणियों तथा अनेक आकार के स्लैब, ब्लूम, बार, प्लेट और फोज्ड मदें बनाने की क्षमता निहित है. यहां कोल्ड रोलिंग मिल रोल, कंकास्ट रोलर, क्रेन के पहिए, स्प्रिंग, हैमर, ग्रेट बार, हॉटसा ब्लेड, ब्राइट बार, स्टेनलेस स्टील लाइनर प्लेट आदि मूल्य संवर्धित उत्पाद भी तैयार होते हैं. यह कारखाना अपने ख्याति प्राप्त कन्वर्जन एजेन्टों की मार्फत अनेक ग्राहकों को ऐसे सामान उपलब्ध करा रहा है जिनका पहले आयात किया जाता था.
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