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स्मार्ट सिटी की राह में रोड़ा बन रही है प्रांतिका बस्ती

इलाके में अवैध कार्यों का बन गया है पनाहगार दुर्गापुर : दुर्गापुर थाना अंतर्गत प्रांतिका फाड़ी के कुछ ही फलांग की दूरी पर स्थित है. शहर का सबसे बड़ा बस्ती इलाका जिसे तालतल्ला या प्रांतिका बस्ती इलाका भी कहा जाता है. शुक्रवार रात प्रांतिका फाड़ी की घटना के बाद इलाका एक बार फिर सुर्ख़ियो में […]

इलाके में अवैध कार्यों का बन गया है पनाहगार

दुर्गापुर : दुर्गापुर थाना अंतर्गत प्रांतिका फाड़ी के कुछ ही फलांग की दूरी पर स्थित है. शहर का सबसे बड़ा बस्ती इलाका जिसे तालतल्ला या प्रांतिका बस्ती इलाका भी कहा जाता है. शुक्रवार रात प्रांतिका फाड़ी की घटना के बाद इलाका एक बार फिर सुर्ख़ियो में आ गया है. हालांकि यह इलाका हमेशा अपने अवैध कार्यो के लिए सुर्ख़ियों में रहा है. प्रशासन के नाक के नीचे इस इलाके में अवैध लोहा काटने से लेकर गांजा, शराब सहित अन्य नशीली पदार्थो की खरीद बिक्री होती है.
खास कर चोरी की लौह सामग्री को खपाया जाता है. बताया जाता है की इस इलाके मे रहने वाले अधिकांश लोग बीरभूम और मुर्सीदाबाद के रहने वाले है, और एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते है. इलाके को जानने वाले बताते है की एक समय शेख शाहिद नामक व्यक्ति ने इस इलाके मे अवैध लोहा कांटा शुरू किया था. उसके बाद धीरे धीरे बीरभूम और मुर्सीदाबाद से लोग आकर बसते गए और डीएसपी और डीएमसी के जमीन पर कब्जा कर लिया.
पुलिस की भूमिका पर उठाये जा रहे सवाल
पुलिस फाड़ी के कुछ ही दूरी पर स्थित होने के बाद भी इस इलाके मे धड़ल्ले से सभी गैर कानूनी कार्यो को अंजाम दिया जाता है. आरोप है की शहर मे होने वाली अधिकांश चोरी की घटना में इन इलाके के रहने वालो का हाथ रहता है. आज तक पुलिस इन लोगो पर कार्यवाई करने से बचती रही है. लोगो का आरोप है की पुलिस इस इलाके मे चलने वाले अवैध कार्यो से मलाई मार रही है.
एक निश्चित रकम पुलिस को इस इलाके से मिलने की खबर है जिस कारण इस इलाके से पुलिस आंखे बंद रखती है.शुक्रवार की घटना इसी का परिणाम है. इस इलाके में चल रहे अवैध कार्यो और सरकारी जमीन हथियाकर बस्ती निर्माण कर लेने से शहर के लोगो में काफी नाराजगी है.
लोगो का कहना है की प्रशासन की कमजोरी के कारण इतनी बड़ी बस्ती बस गई जबकि स्थानीय प्रशासन स्मार्ट सिटी के ख्वाब पाल रही है.डीएमसी सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार इस बस्ती के कारण इलाके में बनने वाले डेली मार्केट का कम भी रुका पड़ा है. डीएमसी अपनी जमीन पर डेली मार्केट बनाना चाह रही है लेकिन बस्ती खाली नहीं कराये जाने से मार्केट का कार्य अधर मे लटका है.
वोट बैंक के कारण सरकारी जमीन पर से इन्हें नहीं हट पा रहा है. सत्तर की दशक से सरकारी जमीन पर कब्जा करना शुरू हुआ था जो अभी तक जारी है. इस इलाके के लोग पहले माकपा से साथ थे. राज्य मे शासन बदलते ही इन लोगो ने भी अपना पाला बदल कर तृणमूल में शामिल हो गए. आरोप है की राजनीतिक संरक्षण के कारण इन्हे किसी का डर नही है.वही पुलिस भी इन पर हाथ डालने से कतराती है.

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