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स्कूली छात्रों को पढ़ाई जाएगी पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी, भाजपा सांसद ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पीएम मोदी को लिखा है कि विभाजन की पीड़ा को कभी नहीं भूला जा सकता. विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष मनाने से हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी.

नई दिल्ली : आज से करीब 75 साल पहले 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को अब भारत में स्कूली बच्चों को शामिल किया जाएगा. इसके लिए राज्यसभा में भाजपा के सांसद हरनाथ सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि पिछले 14 अगस्त को पत्र लिखकर मैंने मांग की थी कि विभाजन की त्रासदी केवल स्मृति दिवस ही नहीं, बल्कि अपने देश के नौनिहालों को संपूर्ण विभाजन की विभीषिका का तथ्यात्मक ज्ञान देने के लिए उनके पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिए.

विश्व इतिहास की सबसे क्रूरतापूर्ण घटना

उन्होंने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा है कि मेरे ज्ञान के अनुसार, विश्व इतिहास की सर्वाधिक क्रूरतापूर्ण घटना थी, जिसमें करीब 10 लाख लोगों की जान गई. उन्होंने आगे कहा कि करीब 70 लाख लोगों को अपना घर-द्वार, जमीन-जायदाद छोड़ना पड़ा. माताओं, बहनों और बेटियों की इज्जत लूटी गई.


सांसद ने दिया ये तर्क

भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में आगे लिखा है कि आपने स्वयं कहा कि विभाजन की पीड़ा को कभी नहीं भूला जा सकता. विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष मनाने से हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सामाजिक भेदभाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी.

विभीषिका की जानकारी के लिए तथ्यात्मक साहित्य उपलब्ध नहीं

भाजपा सांसद ने आगे लिखा है कि इतिहास को याद रखने से भविष्य के लिए अतीत की गलतियों को पुन: न दोहराने की सीख मिलती है और जो व्यक्ति, समाज या राष्ट्र इतिहास की भूलों से सीख नहीं लेते, वह बाद में पाश्चाताप करते हैं. उन्होंने लिखा कि देश की अधिकांश आबादी का जन्म आजादी के बाद हुआ है. देश का विभाजन क्यों हुआ, विभाजन के पीछे पृष्ठभूमि क्या थी, विभाजन का देश जो लाखों लोगों ने झेला, वास्तव में उसकी हकीकत क्या थी. विभाजनके लिए कौन से लोग उत्तरदायी थे. लोगों के पास विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर सटीक जानकारी देने के लिए कोई तथ्यात्मक साहित्य उपलब्ध नहीं है.

इतिहासकारों ने त्रासदी को दो-चार पंक्तियों में किया वर्णन

भाजपा सांसद ने आगे लिखा है, ‘सच तो यह है कि हम अभी भी उन्हीं ऐतिहासिक तथ्यों पर निर्भर हैं, जो यूरोपीय अथवा देश के कुटिल मानसिकता वाले इतिहासकारों ने अपने दृष्टिकोण से लिखे हैं. यही कारण है कि इतिहास की पुस्तकों में विभाजन के इतिहास की त्रासदी को दो-चार पंक्तियों या एक-दो पैराग्राफ में समेट दिया जाता है.’ यह भी सच है कि इतिहास हमारे अतीत को जानने, वर्तमान को समझने और भविष्य में सुधारने का सबसे सबल माध्यम होता है.

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नई पीढ़ी को विभाजन की जानकारी देना जरूरी

उन्होंने लिखा, ‘मेरी नजर में विश्व की सर्वाधिक क्रूरतम घटना का संपूर्ण प्रामाणिक ज्ञान भारत की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी को अवश्य होनी चाहिए.’ यह तभी संभव है, जब विभाजन की विभीषिका का तथ्यात्मक संपूर्ण चित्र, इतिहास के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा और बच्चों को पढ़ाया जाएगा.

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