Kalvari Class Submarine News: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आईएनएस विक्रांत के परीक्षण के बीच भारतीय नौसेना के कलवरी क्लास की पांचवीं पनडुब्बी (Submarine) का समुद्री परीक्षण शुरू हो गया है. प्रोजेक्ट 75 के इस सबमरीन का समुद्री परीक्षण 1 फरवरी से शुरू हो रहा है. इस पनडुब्बी को नवंबर 2020 में लांच किया गया था. महाराष्ट्र के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के कान्होजी आंगड़े वेट बेसिन में उतारा गया था. भारतीय नौसेना में शामिल किये जाने के बाद इस पनडुब्बी का नाम ‘वजीर’ (Wagir) रखा जायेगा.
अब इसे प्रोपल्सन सिस्टम, वेपंस एवं सेंसर जैसे कठोर परीक्षणों से गुजरना होगा. बताया जा रहा है कि वर्ष 2022 में ही इस पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जायेगा. इससे पहले फ्रांस में बने लड़ाकू विमान राफेल के समुद्री संस्करण का गोवा में सफल उड़ान परीक्षण किया गया. इसके लिए वैसी ही परिस्थितियां तैयार की गयी थी, जैसी स्वदेश में विकसित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर होती हैं.
एक शीर्ष राजनयिक ने बताया कि राफेल-एम की प्रतिस्पर्धा अमेरिका निर्मित सुपर हॉर्नेट (US Made Super Hornet) से है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) द्वारा 44,000 टन के आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर तैनाती के लिए संभावित खरीद के लिए इन दोनों का मूल्यांकन किया जा रहा है. आईएनएस विक्रांत का अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में परीक्षण चल रहा है और यह अगस्त से सेवा में आ सकता है.
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भारत में फ्रांस के राजदूत एमैनुअल लेनैं ने कहा, ‘राफेल मरीन की आपके (भारत के) विमान वाहक पोत से उड़ान भरने की क्षमता देखने के लिए परीक्षण किये गये और ये अच्छे रहे.’ भारत के नये विमान वाहक पोत को ‘स्की-जंप’ लांच शिप की तरह डिजाइन किया गया है. इससे कोई विमान इसकी गति की मदद से उड़ान भर सकता है और यह अन्य विमान वाहक पोतों से अलग है, जो विमान के उड़ान भरने के लिए कैटापुल्ट लांच नामक उपकरण या तकनीक का इस्तेमाल करते हैं.
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एमैनुअल लेनैं ने कहा कि राफेल-एम विमान (Rafael Marine Aircraft) का पिछले महीने 12 दिन तक गोवा के आईएनएस हंसा (INS Hansa) केंद्र से परीक्षण किया गया और इसके लिए 283 मीटर की कृत्रिम स्की-जंप सुविधा का इस्तेमाल किया गया. बोइंग (Boeing) के सुपर हॉर्नेट (Super Hornet) या एफ/ए-18 विमानों (F/A-18 Aircrafts) को भी भारत को बेचने की पेशकश की जा रही है. अगले महीने इनका भी आईएनएस हंसा पर इस तरह का परीक्षण हो सकता है. रक्षा सूत्रों ने बताया कि आपूर्तिकर्ताओं ने राफेल-एम (Rafael M) और सुपर हॉर्नेट (Super Hornet Fighter Jets) दोनों में बदलाव किये हैं, ताकि उन्हें भारत के ऑर्डर के लिहाज से बनाया जा सके.
Posted By: Mithilesh Jha