लखनऊ : उत्तर प्रदेश में दलित महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों की खाली जगह को शादी-ब्याह के लिये किराये पर देने पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की आपत्ति पर सख्त रुख अपनाते हुए सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी :सपा: ने आज कहा कि स्मारक बसपा की जागीर नहीं, बल्कि राज्य सरकार की सम्पत्ति हैं और उनकी खाली पड़ी जमीन के सदुपयोग पर बसपा की आपत्ति जनविरोधी है.
सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने यहां कहा कि लखनउ तथा नोएडा में दलित महापुरुषों के नाम पर अरबों रुपए की लागत से बने पार्क और स्मारकों में काफी जगह खाली है. उसके सदुपयोग की सपा सरकार की योजना पर बसपा नेताओं की आपत्ति पूरी तरह अनुचित और जनविरोधी है. उन्होंने कहा ‘‘ऐसा लगता है कि बसपा ने उत्तर प्रदेश को अपनी जागीर मान लिया है. पार्क और स्मारक बसपा की जायदाद नहीं, बल्कि राज्य सरकार की सम्पत्ति है और उसका सदुपयोग सुनिश्चित करना सरकार का हक और फर्ज दोनों ही है.’’
गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार ने मायावती सरकार द्वारा बनवाए गये स्मारकों के अंदर की खाली जमीन का उपयोग नहीं हो पाने का हवाला देते हुए हाल में उन्हें शादी-ब्याह तथा अन्य मांगलिक कार्यों के लिये किराये पर देने की घोषणा की थी. सरकार के फैसले के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल बीएल जोशी से मुलाकात करके शिकायत की और सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू कराने की मांग दोहरायी.