चेन्नई : तमिलनाडु सरकार ने आज कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के इलाज पर अपोलो अस्पताल और एम्स की रिपोर्टों में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद पांच दिसंबर को उनकी मृत्यु हुई. इसमें कहा गया है कि चेन्नई के अपोलो अस्पताल के आईसीयू में जयललिता को चार दिसंबर को दिल का दौरा पड़ा था. उस दौरान आईसीयू का एक कर्मचारी वहां मौजूद था.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता का पांच दिसंबर, 2016 को रात साढे ग्यारह बजे निधन हुआ.” दूसरी ओर, दिल्ली में एम्स के डॉक्टरों से रिपोर्ट लेने के बाद तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने संवाददाताओं से कहा, जयललिता के इलाज को लेकर ‘‘मीडिया में लगायी जा रही अटकलों का कोई आधार नहीं है.” उन्होंने कहा, इस प्रकार की अटकलों को खारिज करने के लिए ‘‘हमारे अनुरोध पर भारत सरकार” ने एम्स के डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त की है.
राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट अपने आप में पर्याप्त है, और हमने कुछ गोपनीय नहीं रखा है.” इसबीच, रिपोर्ट के हवाले से प्रेस में जारी बयान के अनुसार, एक घंटे के भीतर जयललिता को होश में लाने का प्रयास करते हुए उन्हें ईसीएमओ भी दिया गया.
राधाकृष्णन के हवाले से बयान में कहा गया है, ‘‘निर्धारित मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें होश में रखने का हर संभव क्लीनिकल प्रयास किया गया.” राधाकृष्णन ने कहा कि अपोलो और एम्स के विशेषज्ञों सहित डॉक्टरों की टीम ने स्थिति का जायजा लिया. क्लीनिकली यह निष्कर्ष निकाला गया कि हृदय काम नहीं कर रहा है और न्यूरोलॉजिकल सुधार भी नहीं हो रहा है. यह जीवन रक्षक प्रणाली की निरर्थकता दिखा रहा था.
इसलिए सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद, स्थिति की जानकारी वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं… ओ. पनीरसेल्वम, स्वास्थ्य मंत्री विजयभास्कर, लोकसभा उपाध्यक्ष एम. थंबीदुरै और अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला को दी गयी. बयान के अनुसार इसकी जानकारी मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारियों को भी दी गयी.
सभी ने स्थिति को समझा और मेडिकल टीम से स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार काम करने को कहा. राधाकृष्णन ने कहा कि डॉक्टरों के लिए यह अनिवार्य है कि वे मरीजों की जानकारी सार्वजनिक नहीं करें. हालांकि, ‘‘तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री को अस्पताल में भर्ती कराए जाने, इलाज और निधन की परिस्थितियों से जुडी आधारहीन अटकलों को खारिज करने के लिहाज से सरकार ने अपोलो अस्पताल से मिली डिस्चार्ज रिपोर्ट और नयी दिल्ली, एम्स से मिली मेडिकल रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का फैसला लिया.”