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नोटबंदी पर मोदी सरकार का नया अध्यादेश: 500 और 1000 के बैन नोट रखने पर मिलेगी सजा

नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने बंद हो चुके पुराने नोटों के रखने की सीमा को लेकर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. चलन से बाहर किये गये 500, 1,000 रुपये के पुराने नोट रखने वालों पर अब सरकार जुर्माना लगाएगी. दोषी पाए जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने बंद हो चुके पुराने नोटों के रखने की सीमा को लेकर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. चलन से बाहर किये गये 500, 1,000 रुपये के पुराने नोट रखने वालों पर अब सरकार जुर्माना लगाएगी. दोषी पाए जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज इस तरह के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इसमें निर्धारित तिथि के बाद 500, 1000 रुपये के अमान्य नोट रखने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ साथ जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. रिजर्व बैंक कानून में संशोधन वाले एक अन्य अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई है जिसमें अमान्य किये गये इन नोटों के दायित्व से सरकार और केंद्रीय बैंक को मुक्त किया गया है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके.

आधिकारिक सूत्रों ने अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की जानकारी दी है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि दंड का यह प्रावधान किस तिथि के बाद लागू होगा। सरकार ने 500, 1,000 रुपये के अमान्य नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिये 50 दिन की समयसीमा तय की थी। यह समय 30 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. इसके अलावा यह भी कहा गया था कि एक घोषणा पत्र के साथ 31 मार्च तक इन नोटों को रिजर्व बैंक के विशिष्ट कार्यालयों में जमा कराया जा सकेगा.

अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार दस से अधिक अमान्य नोट रखने पर वित्तीय जुर्माना लग सकता है और कुछ मामलों में चार साल तक जेल की सजा भी हो सकती है. सरकार ने 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500, 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। ऐसे नोटों को नये नोटों से बदलने अथवा बैंक, डाकघर खातों में जमा कराने को कहा गया. सरकार ने हालांकि, नोट बदलने की सुविधा को तो कुछ समय बाद वापस ले लिया लेकिन पुराने नोट बैंक और डाकघर खातों में जमा कराने के लिये शुक्रवार 30 दिसंबर तक का समय है.

आज के घटनाक्रम से 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश की याद ताजा हो गई है. तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने नोट बंद करने के बाद सरकार की देनदारी को समाप्त के लिए इसी तरह का अध्यादेश पेश किया था.

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