नयी दिल्ली : तीसरे मोरचे के रूप में कई क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर गैर-कांग्रेस, गैर-बीजेपी विकल्प तैयार करने की वाम दलों की कोशिश फिर से परवान चढ़ रही है. दिलचस्प बात यह है कि माकपा आप को भी मोरचे में शामिल करना चाहती है. माकपा महासचिव प्रकाश करात के मुताबिक, इस सिलसिले में अगले हफ्ते 11 दल दिल्ली में मिलेंगे. 25 फरवरी को नये मोरचे के नाम व विजन का एलान कर दिया जायेगा.
* कौन-कौन होगा नये फ्रंट में
वाम दलों की बात करें तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इस नये फ्रंट की धुरी होंगे. इसके अलावा इसमें हाल में वाम से तमिलनाडु में गंठबंधन करने वाली जयललिता की अन्नाद्रमुक, उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, बिहार में शासन कर रही जनता दल यूनाइटेड, ओडि़शा में सरकार चला रहे नवीन पटनायक का बीजू जनता दल, कर्नाटक का जनता दल सेकुलर, वाम मोरचा का फॉरवर्ड ब्लॉक, असम गण परिषद और बाबूलाल मरांडी का झारखंड विकास मोरचा शामिल हो सकते हैं.
* फिलहाल हाथ हैं 90 सीटें
मौजूदा लोकसभा की बात करें, तो इसमें इस संभावित फ्रंट के दलों के पास 90 लोकसभा सीटें हैं. क्या यह मोरचा पूरे देश में सीटों का तालमेल भी करेगा. इस सवाल पर करात ने सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि इस मोरचे का चरित्र संघीय है. इसमें ज्यादातर क्षेत्रीय राजनीतिक दल हैं, जिनका एक प्रदेश विशेष में ज्यादा जनाधार है. हमारा मकसद इन सभी को साथ लाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक विकल्प मुहैया कराना है. हम एक दूसरे को हर मुमकिन चुनावी मदद मुहैया करायेंगे.
* दिल्ली के बाहर आप का असर नहीं
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, आप पर करात ने कहा कि हम उन्हें एक गैर कांग्रेसी, गैर भाजपा पार्टी मानते हैं. मगर मुश्किल है कि दिल्ली में शानदार कामयाबी हासिल के बाद पार्टी खुद को ही शुद्ध और राजनीतिक रूप से ईमानदार मानती है. उन्होंने कहा कि आप दिल्ली केंद्रित है. मुझे नहीं लगता कि यह राष्ट्रीय स्तर पर कोई असर डाल पायेगी. जिन मुद्दों पर आप मुखर है, उनके बारे में देश के वाम दल काफी पहले से आवाज उठा रहे हैं.
* आप पर निर्भर
करात ने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी रुचि दिखाती है, तो वह भी इस सियासी गंठजोड़ में जगह पा सकती है. अगर ऐसा होता है तो कभी माकपा के अभेद्य दुर्ग रहे पश्चिम बंगाल में मंजर काफी दिलचस्प हो जायेगा. क्योंकि यहां माकपा की धुर विरोधी तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार चला रही हैं और कभी अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक गुरु रहे अन्ना हजारे उनके पक्ष में प्रचार करने का एलान कर चुके हैं.