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सुषमा स्वराज के खिलाफ चुनाव याचिका पर कार्यवाही पर उच्चतम न्यायालय की रोक

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विदिशा संसदीय क्षेत्र से भाजपा नेता सुषमा स्वराज का निर्वाचन निरस्त कराने के लिये कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल की याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही पर आज रोक लगा दी. राजकुमार पटेल ने 2009 के लोकसभा चुनाव में विदिशा संसदीय क्षेत्र से सुषमा स्वराज का निर्वाचन […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विदिशा संसदीय क्षेत्र से भाजपा नेता सुषमा स्वराज का निर्वाचन निरस्त कराने के लिये कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल की याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही पर आज रोक लगा दी. राजकुमार पटेल ने 2009 के लोकसभा चुनाव में विदिशा संसदीय क्षेत्र से सुषमा स्वराज का निर्वाचन निरस्त करने के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है.

न्यायमूर्ति एस एस निज्जर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने स्वराज की याचिका पर पटेल को नोटिस जारी किया है. पटेल को चार सप्ताह के भीतर जवाब देना है.सुषमा स्वराज ने इस याचिका में उच्च न्यायालय के 3 दिसंबर, 2013 के आदेश को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने पटेल की चुनाव याचिका खारिज करने के लिये सुषमा की अर्जी पर कोई राहत देने से इंकार कर दिया था.शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाते हुये इस तथ्य का संज्ञान लिया कि इस मामले की सुनवाई में लगभग पांच साल लग गये हैं.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘यह बहुत ही चिंता की बात है क्योंकि अंतरिम आवेदन 2009 से ही लंबित है.’’ लोक सभा के 2009 के चुनाव के दौरान विदिशा संसदीय क्षेत्र में नामांकन के आखिरी दिन पटेल का नामांकन रद्द कर दिया गया था क्योंकि वह जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष निर्धारित समय के भीतर आवश्यक फार्म-बी पेश नहीं कर सके थे.इसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार ने चुनाव याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया था कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने गलत तरीके से उनका नामांकन रद्द किया. पटेल ने इसके साथ ही सुषमा स्वराज का निर्वाचन निरस्त करने का अनुरोध किया था.

पटेल ने याचिका में दावा किया था कि उनका प्रतिनिधि निर्धारित समय से पहले ही निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय पहुंच गया था और वीडियो रिकार्डिंग से इस तथ्य की पुष्टि की जा सकती है. सुषमा स्वराज ने पटेल के तर्क को निराधार बताने के साथ ही याचिका तथा उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत के संबंधित आदेशों की सत्यापित प्रति उपलब्ध नहीं कराने पर आपत्ति करते हुये यह अर्जी दायर की थी.

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