नयी दिल्ली: भाजपा ने तीसरे मोर्चे की चर्चा को जदयू और सपा जैसी ‘चुक चुकी’ पार्टियों का ‘‘शोर’’ बताते हुए आज कहा कि यह कोलाहल जितना बढ़ेगा, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार बनाने की लोगों की इच्छा उतनी ही बलवती होगी.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, ‘‘तीसरा मोर्चा वापस आ गया? तीसरे मोर्चे के विचार को कौन धकेल रहा है? ..तीसरे मोर्चे के विचार को बढ़ाने वाले प्रमुख खिलाड़ी हैं जदयू और सपा. दोनों ही दल पहचान के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं.’’ जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, जदयू और सपा दोनों अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों में संभावित पराजय का सामना कर रहे हैं ‘‘और पराजित केवल इसलिए विजयी नहीं हो सकते क्योंकि वे एक ‘पराजयी मोर्चा’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा कि तीसरे मोर्चे की एक आवश्यक अपेक्षा यह है कि वह कांग्रेस और भाजपा से बराबर की दूरी वाला हो और जदयू तथा समाजवादी पार्टी ऐसे होने का दावा कैसे कर सकते हैं? जदयू 18 साल तक भाजपा के साथ रहने के साथ हाल तक कांग्रेस से गठजोड़ का प्रयास करती रही. सपा के बूते कांग्रेस नीत संप्रग का दस साल शासन चला.भाजपा नेता ने कहा कि इसके अलावा तीसरे मोर्चे में अंदरुनी अंतर्विरोध है –ये अंतर्विरोध है तृणमूल कांग्रेस बनाम वाम दल, सपा बनाम बसपा, अन्नाद्रमुक बनाम द्रमुक और जदयू बनाम राजद.
जेटली के अनुसार, ‘‘तीसरा मोर्चा राजनीतिक विरोधाभास का पिटारा है जिसका समाधान कभी नहीं किया जा सकता है. तीसरे मोर्चे की कोई वैचारिक एकरुपता नहीं है. इसके संभावित दलों की कोई ऐसी बड़ी राजनीतिक उपस्थिति नहीं है जो मोर्चे को स्थिरता प्रदान कर सके.
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नीत संप्रग के प्रति जनता का पूरी तरह मोह भंग हो जाना एकदम स्पष्ट है. अर्थव्यवस्था को उसकी वर्तमान दुर्दशा से निकालने के लिए विचारों की एकरुपता, निर्णायकता और राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता है और तीसरा मोर्चा इस सब के एकदम विपरीत तस्वीर का प्रतिनिधित्व करता है. जेटली के अनुसार तीसरे मोर्चे का शोर जितना बढ़ेगा उतनी ही जनता में यह इच्छा बढ़ेगी कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार बने जिसमें स्वयं के बल पर सरकार गठित करने की क्षमता है.