12.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बने रहेंगे समलैंगिक संबंध अपराध,पुनर्विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में समलैंगिक यौन रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से आज इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा था कि संसद चाहे तो इस संबंध में कानून में संशोधन कर सकती है. न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में समलैंगिक यौन रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से आज इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा था कि संसद चाहे तो इस संबंध में कानून में संशोधन कर सकती है. न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने चैंबर में दिसंबर 2013 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये केंद्र सरकार और गैर सरकारी संगठन नाज फाउण्डेशन की याचिकायें खारिज कर दी. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अप्राकृतिक यौन अपराध से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 377 असंवैधानिक नहीं है.

देश में समलैंगिक संबंधों के पक्षधर समुदाय को 11 दिसंबर, 2013 को उस समय बड़ा झटका लगा था जब उच्चतम न्यायालय ने स्वेच्छा से स्थापित समलैंगिक यौन रिश्तों को अपराध के दायर रखने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय का 2 जुलाई, 2009 का निर्णय निरस्त कर दिया था. न्यायालय के इस निर्णय के बाद एक बार फिर समलैंगिक यौन रिश्ते भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध के दायरे में आ गये थे. इस अपराध के लिये उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है.

गैर सरकारी संगठन नाज फाउण्डेशन ने इस निर्णय के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये पुनर्विचार याचिका दायर की थी. इस संगठन का कहना था कि उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद समलैंगिक यौन रिश्तों के पक्षधर हजारों लोगों की पहचान सार्वजनिक हो गयी थी और अब उन पर मुकदमे का खतरा मंडरा रहा है. केंद्र सरकार ने भी इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें