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देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं

नयी दिल्ली : देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग- अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है जो लड़कियों के स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने का एक अहम कारण के रूप में सामने आया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में देश के 69 प्रतिशत स्कूलों […]

नयी दिल्ली : देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग- अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है जो लड़कियों के स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने का एक अहम कारण के रूप में सामने आया है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में देश के 69 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग- अलग शौचालय की व्यवस्था है जो 2009- 10 में 59 प्रतिशत रही थी.

इस तरह देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है. हालांकि, 95 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है.चंडीगढ़, दिल्ली, दमन-दीव, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पंजाब, पुडुचेरी में सभी स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है.

प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर कुल नामांकन बढ़कर 13.47 करोड़ और उच्च प्राथमिक स्तर पर 6.49 करोड़ हो गया। प्राथमिक शिक्षा स्तर पर दाखिला लेने वालों में लड़कियों का प्रतिशत 48 और उच्च प्राथमिक स्तर पर 49 प्रतिशत है. देश में प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर स्कूलों (सरकारी और गैर सहायता प्राप्त) की संख्या 11,53,472 है.

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में 88 प्रतिशत स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समिति का गठन हुआ है जो शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) का एक अहम मानदंड है. इन समितियों में 75 प्रतिशत सदस्य ऐसे हैं जिनके बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं और इनमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं.

शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के लागू होने के तीन वर्ष से अधिक गुजरने के बाद भी करीब 20 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर शिक्षकों की कमी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 26 राज्यों ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की है.

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह व्यवस्था बनायी गई है कि केवल उन लोगों की शिक्षकों के रुप में नियुक्ति की जायेगी जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में उत्तीर्ण होते हैं.

शिक्षक पात्रता परीक्षा में बैठने वालों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. जून 2011 मेंं बैठने वालों में केवल 7.59 प्रतिशत पास हुए जबकि जनवरी 2012 में 6.43 प्रतिशत और नवंबर 2012 में 0.45 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए.

देश भर में सरकार, स्थानीय निकाय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के 45 लाख पद हैं. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 2012-13 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19.82 लाख पद मंजूर किये गए हैं और करीब 13 लाख पद भरे गए.मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, करीब 81 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर दक्षता प्राप्त शिक्षक हैं.

आरटीई के तहत राज्यों को स्कूलों में दक्ष एवं पेशेवर शिक्षकों को नियुक्त करने के एक महत्वपूर्ण मापदंड को पूरा करने के लिए पहले तीन वर्ष का समय दिया गया था जिसे दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है.

रिपोर्ट में आरटीई के तहत बच्चों के दाखिले, शिक्षकों की उपलब्धता, आधारभूत संरचना जैसे कारकों का मूल्यांकन किया गया. इसमें यह स्पष्ट हुआ है कि प्राथमिक स्तर पर लैंगिक और सामाजिक श्रेणी में अंतर में काफी कमी आयी है.

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