चेन्नई: कुड्डालूर में तमिल ईलम समर्थक संगठन ह्यनाम तमिलरह्ण पार्टी द्वारा आयोजित बैठक में जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक की मौजूदगी की तमिलनाडु की भाजपा और कांग्रेस की इकाई ने आलोचना की है.
कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष बी एस ज्ञानदेसिकन ने एक वक्तव्य में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस बात की जांच करनी चाहिए कि कैसे मलिक कुड्डालूर आए और शनिवार को आयोजित सभा के आयोजकों के साथ उनके संबंधों की भी जांच की जानी चाहिए.उन्होंने जनसभा को प्रतिबंधित करने के राज्य सरकार के कदम का स्वागत किया.
मलिक की उपस्थिति पर आपत्ति व्यक्त करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पी राधाकृष्णन ने कहा, “नेताओं को यहां तक कि हिंसा प्रभावित धर्मपुरी और मारक्कनम की यात्रा करने से भी प्रतिबंधित किया गया था. लेकिन मलिक जैसे अलगाववादी को तमिलनाडु में आने की अनुमति देना खतरनाक है और राज्य सरकार को इसको समझना चाहिए.”
एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पूरी तरह अलग हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया है जबकि द्वीप गणराज्य में जातीय अल्पसंख्यक संघर्ष कर रहे हैं और अपने खोए हुए अधिकारों को वापस पाने के लिए भारत से मदद मांग रहे हैं.मारे गए लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण की तस्वीर वाला बैनर आयोजकों द्वारा लगाए जाने के बाद पुलिस ने जनसभा प्रतिबंधित कर दी थी. नेताओं ने बाद में बंद कमरे में बैठक की.
केंद्रीय मंत्री वी नारायणसामी ने कल तमिलनाडु सरकार के उस फैसले का समर्थन किया था जिसमें तमिल ईलम के समर्थन में एक जनसभा को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस सभा में मलिक को हिस्सा लेना था. नारायणसामी ने कहा था कि यह कदम सही है और “कानून व्यवस्था के हित” में लिया गया था.
यासीन मलिक को नाम तमिलार के संस्थापक सीमान ने सभा के लिए आमंत्रित किया था. इसमें मलिक ने श्रीलंका में तमिलों के लिए अलग राज्य का समर्थन करते हुए कहा था कि ईलम हकीकत का रुप लेगा. कांग्रेस की पूर्व सहयोगी द्रमुक ने प्रतिबंध को अस्वीकार कर दिया था.