बीजिंग : चीन ने आज कहा अगर भारत और चीन तालमेल बिठा कर चले तों ब्रिक्स समूह को बड़ा प्रोत्साहन मिल मिल सकता है और इससे विकासशील देशों के अधिकारों की रक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिलेगा.
चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग की आज से शुरु हुई तीन दिवसीय भारत यात्रा के बीच चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने आज एक टिप्पणी में कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर ली की यह पहली भारत यात्रा है और इतने अल्पकाल में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय संपर्कों से यह आभास होता है कि भारत और चीन बेहतर रिश्तों और निकट सहयोग की ओर बढ़ रहे हैं. इस तरह का सहयोग बहुपक्षीय समूह बिक्स में नयी चमक पैदा करेगा जिसमें चीन और भारत प्रमुख भागीदार है. बिक्स के अन्य सदस्यों में ब्राजील, रुस और दक्षिणअफ्रीका शामिल है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मार्च में डरबन में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच बैठक हुई थी.
शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के दूरंदेशी नेताओं ने यह एहसास कर लिया है कि दुनिया में चीन और भारत के विकास के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और सीमा से जुड़े पुराने मुद्दों और भारत-चीन के बीच क्षेत्र में वर्चस्व की बड़ी- बड़ी चर्चाओं के बावजूद दोनों पड़ोसी देशों के व्यापक हित एक दूसरे से जुड़े हैं.
जहां दुनिया के ज्यादातर विकसित देश आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं, ब्रिक्स देश :ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका: समूह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों की आवज को मजबूती से आगे बढाने में विशेष स्थिति में है. चीन और भारत के बीच मजबूत साझीदारी से ब्रिक्स को और महत्वपूर्ण भूमिका में ले जाने में मदद मिलेगी. शिन्हुआ की इस टिप्पणी में चीन और भारत को विकासशील देशों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाला बताया गया है और कहा गया है कि दोनों ही गरीबी निवारण, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन जैसे तमाम विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों में विकासशील देशों का पक्ष उठाते रहे हैं.
चीनी संवाद समिति ने कहा है कि विकासशील देशों के लिए अपने हित की चिंता करना स्वाभाविक है और वे इसके लिए प्राय: चीन और भारत से बड़े समर्थन की उम्मीद रखते हैं. इसलिए जरूरी है कि ये दोनों देश आपसी विश्वास बढाएं, सहयोग के दायरे का विस्तार करें और आपसी समन्वय सशक्त करें.
संवाद समिति ने कल भी भारत चीन द्विपक्षीय संबंधों पर एक टिप्पणी प्रशाशित की थी जिसमें कहा गया था कि दोनों देशों के सीमा विवाद का समाधान किए बगैर आपसी अविश्वास को दूर करना मुश्किल है पर यह अविश्वास धीरे -धीरे कम जरूरत किया जा सता है.