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राजनीति की दिशा बदलनेवाला नया सितारा अरविंद केजरीवाल

– मिथिलेश झा – 16 दिसंबर, 1968 को हरियाणा के हिसार में जन्मे एक आम आदमी ने दिल्ली और देश की राजनीति की दिशा बदल दी. इस शख्स का नाम है अरविंद केजरीवाल. जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में आंदोलन शुरू करने, आम आदमी पार्टी (आप) बना कर चुनाव लड़नेवाले अरविंद ने […]

– मिथिलेश झा –

16 दिसंबर, 1968 को हरियाणा के हिसार में जन्मे एक आम आदमी ने दिल्ली और देश की राजनीति की दिशा बदल दी. इस शख्स का नाम है अरविंद केजरीवाल. जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में आंदोलन शुरू करने, आम आदमी पार्टी (आप) बना कर चुनाव लड़नेवाले अरविंद ने आइआइटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद 1989-1992 तक टाटा स्टील में नौकरी की.

कोलकाता में नेहरू युवा केंद्र और उत्तर-पूर्व में रामकृष्ण मिशन के लिए भी कुछ दिनों तक काम किया. 1995 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी और भारतीय राजस्व विभाग में पदस्थापित हुए.

कथित भ्रष्टाचार से तंग आकर वर्ष 2006 में सरकारी नौकरी छोड़ दी. ‘पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन’ बना कर समाजसेवा में जुट गये. सूचना का अधिकार (आरटीआइ) और जनलोकपाल जैसे आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

केजरीवाल ने अन्ना के नेतृत्व में भ्रष्टाचार खत्म करने के मकसद से जनलोकपाल बिल लाने की मांग की, तो सभी दलों ने कहा कि यह काम संसद करेगी. अन्ना के आंदोलन से यह नहीं होगा. उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए और संसद में बहस करनी चाहिए. अन्ना इसके पक्ष में नहीं थे.

लेकिन अरविंद ने इसे चुनौती के रूप में लिया और आम आदमी पार्टी बनायी. पार्टी बनते ही विरोधियों ने कहना शुरू कर दिया कि केजरीवाल ने अन्ना को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया.

दिल्ली में जब विधानसभा चुनाव हुए, तो कई बड़े नेता ने पूछा कि ये अरविंद केजरीवाल कौन है? लेकिन, दिल्ली के चुनाव परिणाम आये, तो सभी सन्न थे. शीला दीक्षित बड़े अंतर से हार गयीं. केजरीवाल ने राष्ट्रीय पार्टियों को आम आदमी की ताकत दिखा दी. भाजपा बहुमत से दूर रह गयी. बेबस कांग्रेस को ‘आप’ को समर्थन देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

70 के दशक में जेपी ने इंदिरा को सत्ताच्युत किया था, 80 के दशक में वीपी सिंह ने उनके बेटे राजीव को. सो अब उनकी तुलना ओबामा, जेपी और वीपी से हो रही है. ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ ने ओप-एड में छह अंधे लोगों की कहानी, जिसमें सभी हाथी को पहचानने की अपने-अपने ढंग से कोशिश करते हैं, लिखा है, ‘और हिंदुस्तान के इन लोगों ने खूब झगड़ा किया, जोर-जोर से झगड़े, सभी अपने-अपने मत पर जोरदार ढंग से अड़े, हालांकि थोड़ा-थोड़ा सभी सही थे और सब के सब गलत भी थे.’

मैकेनिकल इंजीनिरिंग के एक छात्र ने राष्ट्रीय पार्टियों को फर्श पर ला पटका. व्यवस्था परिवर्तन व भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए 26 नवंबर, 2012 को अस्तित्व में आयी ‘आप’ अब सरकार बनाने जा रही है. जिस केजरीवाल को कोई नेता नहीं जानता था, सीएम बनने जा रहे हैं.

देश में पहली बार जनमत संग्रह कर सरकार बनानेवाले केजरीवाल ने इतिहास रचा है. अब घोषणा पत्र पर अमल करने की बारी है. यदि उन्होंने इसे पूरा कर लिया, तो दिल्ली की जनता की सबसे बड़ी जीत होगी.

आंदोलन

– 1999 में परिवर्तन आंदोलन के जरिये आयकर, बिजली, राशन जैसे आम जन के मुद्दे उठाने शुरू किये

– 2008 में फर्जी राशन कार्ड घोटाले का भंडाफोड़ किया

– आरटीआइ के जरिये डीएमसी के घपले उजागर किये

– अब जेपी, ओबामा व वीपी से हो रही है तुलना

अलग है आम आदमी पार्टी

– 1977 में जेपी आंदोलन से निकली जनता पार्टी जैसी पार्टी नहीं है, जिसमें विभिन्न दलों के राजनेता शामिल थे

– अगप की तरह छात्र राजनीति की उपज नहीं है

– दक्षिण में एनटी रामाराव की तरह ग्लैमर और धन-संपदा से परिपूर्ण शख्सीयत की पार्टी नहीं

– किसी नेता की विरासत संभालनेवाले लोगों की जमात नहीं

– जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्रवाद की राजनीति करनेवाली पार्टी नहीं

अपने जमाने के ये भी थे हीरो

– एनटी रामाराव (तमिलनाडु)

– करुणानिधि (तमिलनाडु)

– प्रफुल्ल कुमार महंत (असम)

– मुलायम सिंह यादव (यूपी)

– ममता बनर्जी (प बंगाल)

– जे जयललिता (तमिलनाडु)

सुरक्षा लेने से इनकार

दिल्ली के एसीपी (सुरक्षा) वी रंगनाथन ने पत्र लिख कर केजरीवाल से सुरक्षा लेने को कहा, तो उन्होंने धन्यवाद के साथ इसे लेने से मना कर दिया. कहा कि उन्हें न एस्कॉर्ट चाहिए, न निजी सुरक्षा. कहा, ‘भगवान सबका रखवाला है’.

पुरस्कार

2004 : अशोक फेलो, सिविक इंगेजमेंट

2005 : सत्येंद्र कुमार दुबे मेमोरियल अवार्ड

2006 : रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

2006 : सीएनएन-आइबीएन इंडियन ऑफ द इयर इन पब्लिक सर्विस

2009 : आइआइटी खड़गपुर का डिस्टिनग्विश्ड एलुमिनस अवार्ड

2009 : एसोसिएशन फॉर इंडियाज डेवलपमेंट की ओर से ग्रांट और फेलोशिप

2010 : पॉलिसी चेंज एजेंट ऑफ द इयर, अरुणा रॉय के साथ इकॉनोमिक टाइम्स अवार्ड

2011 : अन्ना हजारे के साथ एनडीटीवी इंडियन ऑफ द इयर अवार्ड

2013 : सीएनएन-आइबीएन इंडियन ऑफ द इयर (राजनीति)

ये बन सकते हैं मंत्री

विनोद कुमार बिन्नी : लक्ष्मीनगर के विधायक. दल्लुपुरा वार्ड से दो बार पार्षद रहे. कांग्रेसी थे. बाद में पार्टी छोड़ दी.

मनीष सिसोदिया : पत्रकार रह चुके सिसोदिया पटपड़गंज से विधायक हैं. अन्ना के आंदोलन से पहचान मिली.

सौरभ भारद्वाज : ग्रेटर कैलाश से विधायक. पेशे से इंजीनियर. कानूनविद.

सोमनाथ भारती : मालवीय नगर के विधायक. पेशे से वकील. दिल्ली गैंगरेप के खिलाफ आंदोलन से मिली पहचान.

महिला कोटे से : वीना आनंद, वंदना कुमारी या राखी बिरला.

परिवार

– पिता गोविंद केजरीवाल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं

– मां गीता देवी गृहिणी हैं

– पत्नी संगीता ने नेशनल एकेडमी ऑफ मैसूर में अरविंद केजरीवाल के साथ आइआरएस की ट्रेनिंग की थी

– एक बेटा और एक बेटी के पिता हैं केजरीवाल

अन्ना का टिप्पणी से इनकार

अन्ना हजारे ने दिल्ली में सरकार बनाने के अरविंद केजरीवाल की अगुवाईवाली ‘आप’ के फैसले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि जब वह लोकायुक्त मुद्दे पर कुछ करेंगे, तब अपनी राय व्यक्त करेंगे.

उनसे पूछा गया कि क्या अरविंद का कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का कदम नैतिक है, उन्होंने कहा, ‘मैं बात नहीं करना चाहता. अभी पता नहीं ना, वो क्या करनेवाले हैं.’

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