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न्यायाधीश की पुत्री को प्रेमी के साथ विवाह करने की सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज राजस्थान उच्च न्यायालय के एक पीठासीन न्यायाधीश की बेटी के मामले में हस्तक्षेप करते हुये राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि उसे उसके साथी को सौंप दिया जाये. पीठासीन न्यायाधीश पर आरोप था कि वह अपनी पुत्री को अपने पुरुष मित्र से विवाह करने से रोक रहे हैं. […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज राजस्थान उच्च न्यायालय के एक पीठासीन न्यायाधीश की बेटी के मामले में हस्तक्षेप करते हुये राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि उसे उसके साथी को सौंप दिया जाये. पीठासीन न्यायाधीश पर आरोप था कि वह अपनी पुत्री को अपने पुरुष मित्र से विवाह करने से रोक रहे हैं.

न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति सी नागप्पन ने लड़की का बयान दर्ज करने के बाद अपने आदेश में कहा, ‘‘उसके बयान और इस तथ्य के मद्देनजर कि वह बालिग है, हम कहते हैं कि वह अपने भविष्य के बारे में खुद निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र है. इस लड़की ने अपने बयान में कहा था कि वह सिद्धार्थ मुखर्जी से विवाह करना चाहती है. मुखर्जी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेन्द्र सिंह राठोर अपनी के उसके साथ विवाह करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि वह उनकी बिरादरी का नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि न्यायमूर्ति राठोर ने अपनी 30 वर्षीय पुत्री को घर में नजरबंद कर रखा है.

न्यायालय ने जयपुर में गांधीनगर थाने की पुलिस को इस लड़की को मुखर्जी को सौंपने का निर्देश दिया. साथ ही न्यायालय ने कहा कि यदि उन्हें किसी प्रकार की ‘असुविधा’ पहुंचायी जाती है तो वे शीर्ष अदालत में आ सकते हैं. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इस मामले की सुनवाई में ही हमने लड़की को सूचित किया कि वह अपना बयान देने के लिये स्वतंत्र है और उसे न्यायालय से संरक्षण का भी भरोसा दिलाया. उसने कहा (शीर्ष अदालत को दिये बयान में) किसी के प्रति उसके मन में कोई दुर्भावना नहीं है और वह याचिकाकर्ता से शादी करना चाहती है.’’न्यायालय ने इस पर लड़की को मुखर्जी के पास जाने देने का पुलिस को निर्देश देने के साथ ही याचिका का निबटारा कर दिया.

इससे पहले, न्यायालय ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुये राज्य पुलिस को इस लड़की को 16 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया था. इस लड़की ने पिछले महीने उच्चतम न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को मेल लिखकर उनसे मदद की गुहार की थी.

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