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ट्रेनों में आग लगने के तीन बड़े कारण : शार्ट सर्किट, खराब रख रखाव व जागरूकता की कमी

नयी दिल्ली : एक अहम संसदीय समिति ने भारतीय रेलवे के यात्री डिब्बों में आग लगने की दुर्घटनाओं और सेना में विशेष पैराशूटों की कमी पर कैग की रिपोर्टों समेत 32 अतिरिक्त विषयों का इस वर्ष मुआयना करने के लिए चयन किया है. प्रधान सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा गत वर्ष दिसंबर में संसद के शीतकालीन […]

नयी दिल्ली : एक अहम संसदीय समिति ने भारतीय रेलवे के यात्री डिब्बों में आग लगने की दुर्घटनाओं और सेना में विशेष पैराशूटों की कमी पर कैग की रिपोर्टों समेत 32 अतिरिक्त विषयों का इस वर्ष मुआयना करने के लिए चयन किया है. प्रधान सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा गत वर्ष दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद लोक लेखा समिति ने मुआयना करने के लिए इन अतिरिक्त विषयों को शामिल करने का निर्णय किया.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने रेल विभाग पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रेनों में आग लगने के मुख्य कारण शार्ट सर्किट, खराब रख रखाव और जागरूकता की कमी है.रिपोर्ट में ‘भारतीय रेलवे के यात्री डिब्बों में आग दुर्घटनाएं’ का एक अध्याय है.

पिछले सप्ताह जारी लोकसभा के एक बुलेटिन में कहा गया कि कांग्रेस के के. वी. थॉमस की अध्यक्षता में पीएसी ने पूरे अध्याय का मुआयना करने का निर्णय किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉरपोरेट सुरक्षा योजना में 2001-02 के मुकाबले 2013 में हादसों की संख्या 80 प्रतिशत तक कम करने की परिकल्पना कीगयी थी, लेकिन इस दौरान दुर्घटनाओं की संख्या 160 प्रतिशत तक बढ़ गयी.

यात्री डिब्बों में आग लगने की दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढी है. वर्ष 2001-02 में तीन, 2011-12 में नौ, 2012-13 में 32 और 2013-14 में 35 लोग इस प्रकार के हादसों का शिकार हुए.

इसके अलावा संसदीय पैनल ने रक्षा मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट में ‘‘विशेष पैराशूटों की अनुपलब्धता’ पर पैरा 2.2 का भी मुआयना करने का निर्णय किया है.

कैग ने कहा था कि एक दशक से अधिक समय से भारतीय सेना के पास विशेष पैराशूट नहीं हैं.उसने भारतीय सेना में बीएमपी लडाकू वाहनों की उपलब्धता की कमी और सेना विमानन कोर एवं छावनी बोर्डों की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाए थे.

रिपोर्ट में कहा गया था, ‘‘ अति विशेष अभियानों में कॉम्बैट फ्री फॉल (सीएफएफ) पैराशूटों की आवश्यकता होती है और ये भारतीय सेना की पैराशूट (विशेष बल) बटालियनों के अभियानों की सफलता के लिए अहम हैं लेकिन सेना के पास एक दशक से अधिक समय से ये विशेष पैराशूट नहीं हैं.’ रिपोर्ट के अनुसार ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड 10.75 करोड रपए खर्च करने के बावजूद 2006 में डीआरडीओ द्वारा विकसित इन पैराशूटों का सफलतापूर्वक उत्पादन नहीं कर सका.

पीएसी विभिन्न विषयों पर कैग रिपोर्ट का मुआयना करती है और उनपर उपायों के बारे में सरकार से सफाई मांगती है.

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