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31 मई तक खाली करना होगा कैंपाकोला परिसर:उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि मुंबई की कैंपाकोला सोसायटी के अनधिकृत फ्लैट के मालिकों को इन परिसरों को 31 मई, 2014 तक खाली करना होगा क्योंकि परिसर में नये निर्माण के लिये स्थान मुहैया कराने का विशिष्ट प्रस्ताव तैयार नहीं किया जा सका. शीर्ष अदालत को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि मुंबई की कैंपाकोला सोसायटी के अनधिकृत फ्लैट के मालिकों को इन परिसरों को 31 मई, 2014 तक खाली करना होगा क्योंकि परिसर में नये निर्माण के लिये स्थान मुहैया कराने का विशिष्ट प्रस्ताव तैयार नहीं किया जा सका.

शीर्ष अदालत को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने सूचित किया, ‘‘सभी पहलुओं पर विचार के बाद हम कोई भी विशिष्ट प्रस्ताव तैयार करने की स्थिति में नहीं हैं.’’ न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अटार्नी जनरल के इस कथन के बाद इन फ्लैटों को खाली करने का आदेश दिया. न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने मानवीय आधार को ध्यान में रखते हुये ही फ्लैट गिराने की कार्रवाई 11 नवंबर, 2013 से बढ़ाकर 31 मई, 2014 कर दी थी क्योंकि अटार्नी जनरल स्थाई समाधान के लिये विशिष्ट प्रस्ताव हेतु समय चाहते थे.

न्यायमूर्ति सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ही 13 नवंबर को मीडिया की खबरों का संज्ञान लेते हुये इस परिसर में अनधिकृत फ्लैट गिराने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर इसकी व्यापकता में विचार करके हम समझते हैं कि इसकी अवधि 31 मई तक बढ़ाना उचित होगा और उस समय तक इसमें रहने वालों को परिसर खाली करना ही होगा. इसके लिये इन फ्लैट के निवासियों को छह सप्ताह के भीतर आश्वासन देना होगा.

न्यायाधीशों ने कहा कि यदि कोई आश्वासन नहीं दिया गया तो नगर निगम 27 फरवरी के आदेश के अनुरुप कार्रवाई के लिये स्वतंत्र होगा. न्यायालय ने 27 फरवरी को बृहन्नमुंबई नगर निगम को इस परिसर में गैरकानूनी तरीके से निर्मित फ्लैट गिराने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने एक अक्तूबर को इस मामले पर फिर से विचार करने से इंकार करते हुये गैरकानूनी घोषित किये गये 102 फ्लैटों में रहने वालों को 11 नवंबर तक इन्हें खाली करने का मौका दिया था.

नगर निगम के दस्ते द्वारा परिसर में प्रवेश के दौरान इसमें रहने वाले सौ से अधिक परिवारों की 13 नवंबर को पुलिस के साथ झड़प हुयी थी. शीर्ष अदालत ने मुंबई के कैंपाकोला परिसर के घटनाक्रम को बेहद परेशान करने वाला बताते हुये 13 नवंबर को इन फ्लैटों को गिराने की कार्रवाई पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगा दी थी. इन अधिकृत फ्लैटों में रहने वालों की उम्मीदें बढ़ाते हुये न्यायालय ने अटार्नी जनरल के कथन का संज्ञान लिया था. अटार्नी जनरल ने कहा था कि इस समस्या का स्थाई समाधान खोजना जरुरी है और वह इस बारे में विशिष्ट प्रस्ताव के साथ आयेंगे. वाहनवती ने कहा था कि अनधिकृत निर्माण को तो जाना ही होगा लेकिन न्यायालय के आदेश को प्रभावित किये बगैर ही फ्लैट मालिकों को परिसर में उपलब्ध स्थान पर नई इमारत के निर्माण का अवसर दिया जाना चाहिए.

उनका कहना था कि चूंकि परिसर में ही स्थान है, इसलिए निवासियों को भवन के नक्शे की अनुमति लेने की छूट प्रदान की जानी चाहिए. इस परिसर में 1981 से 1989 के दौरान सात बहुमंजिली इमारतों का निर्माण होना था. लेकिन बिल्डर के पास सिर्फ छह मंजिलों के निर्माण की अनुमति थी लेकिन उसे एक 20 मंजिल की और दूसरी 17 मंजिल की इमारत का निर्माण किया था.

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