नयी दिल्ली : लोकसभा सांसद कीर्ति आजाद ने कहा है कि संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल बिहार की एकमात्र भाषा मैथिली को इस राज्य की राजकीय भाषा का दर्जा दिए जाने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा और यह विषय संसद के आगामी सत्र में भी जोरदार ढंग से उठाया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अलग मिथिला राज्य के लिए प्रयास को तेज किया जायेगा.
मिथिला विभूति स्मृति सम्मान समारोह के दौरान आजाद ने कहा कि आजादी के समय ही देश में राज्यों का गठन भाषिक आधार पर किया गया था लेकिन विश्व की प्राचीनतम लिपियों में शुमार होने के बावजूद अनदेखी किये जाने के कारण मिथिलांचल क्षेत्र संभावनाओं से परिपूर्ण होने के बावजूद विकास की दौड में पिछड़ गया. उन्होंने कहा कि यह वक्त की मांग है कि अब इस गलती को ठीक किया जाए तथा पृथक मिथिला राज्य का गठन व मैथिली भाषा को उसका वांछित सम्मान दिया जाए.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि बौद्धिक एवं ज्ञान के स्तर पर मिथिलांचल क्षेत्र के लोग दुनिया में सबसे उंचे स्तर पर है और संपूर्ण देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता रहा है. इस क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार हर संभव मदद देगी. इस अवसर पर तीन मिथिला विभूति सम्मानों के वार्षिक आयोजन की घोषणा भी की गयी जिसकी पहली कडी में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सर गंगा झा सम्मान से संदीप झा, मिथिलांचल के सवा’गीण विकास के लिए बाबू साहेब चौधरी सम्मान से अशोक झा और भोगेन्द्र झा स्मृति सम्मान से प्रदीप को सम्मानित किया गया.