नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अवमानना के मामले में किसी की माफी जब तक प्रामाणिक है तो उसे सशर्त होने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा, ‘‘ ‘‘ अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 12 की व्याख्या स्पष्ट करती है कि अवमानना करने वाले की ओर से मांगी गयी माफी जब तक प्रामाणिक है तो उसे केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए कि यह सशर्त है. ‘‘ ‘‘
पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया जिसने एक व्यक्ति की माफी को स्वीकार नहीं किया था. व्यक्ति ने एक अवमानना नोटिस के जवाब में बिना शर्त माफी मांगने से पहले स्पष्टीकरण देने की पेशकश की थी.