मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने 17 सितंबर को मांस बिक्री पर लगे प्रतिबंध पर रोक लगा दी है और इस दिन पशुवध पर प्रतिबंध के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार का मांस बिक्री पर दो दिन प्रतिबंध लगाने संबंधी परिपत्र 2004 में जारी किया गया था लेकिन इसे कभी पूरी तरह लागू नहीं किया गया. गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकान पे जैन धार्मावलंबियों के वार्षिक पर्यूषन पर्व को लेकर महाराष्ट्र में आठ दिनों के लिए मिट बैन कर दिया था. इस दौरान मिट की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगा दी थी.
मामला उच्च न्यायालय पहुंचा और बंबई हाइकोर्ट ने मुंबई में आठ दिनों तक मीट की बिक्री पर लगायी गयी रोक पर हस्तक्षेप करते हुए महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था. साथ ही अदालत ने कहा है कि मीट पर बैन लगाना समाधान नहीं है. हाइकोर्ट ने फटकार लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार व बंबई नगर निगम (बीएमसी) को इस पर हलफनामा देने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि भाजपा के शासन वाले बंबई नगर निगम ने जैनों के पर्व पर्यूषण को लेकर आठ दिनों तक मीट की बिक्री पर रोक लगा दी है. यह प्रतिबंध 17 तारीख तक प्रभावी था. उधर, मीट बैन पर महाराष्ट्र में जबरदस्त राजनीति भी हो रही है. शिवसेना, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना व कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी इसका तीखा विरोध किया है. शिवसेना राज्य सरकार में व बंबई नगर निगम में सत्ता में भागीदार होते हुए भी इसका विरोध कर रही है.
मांस प्रतिबंध को लेकर शिवसेना ने भाजपा पर कसा तंज
भाजपा शासित पांच राज्यों में जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के मामले में शिवसेना ने आज तंज कसते हुए कहा कि संघर्षविराम उल्लंघन के समय में पाकिस्तान पर पहली गोली नहीं चलाने का फैसला हमारी सहयोगी पार्टी द्वारा अपनायी गयी ‘अहिंसा’ का प्रतीक है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह भारत आये एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि भारत पहले गोली नहीं चलाएगा क्योंकि वह अपने सभी पडोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में व्यंग्यात्मक टिप्पणी में लिखा है, ‘हर जगह अहिंसा की बातें हो रही हैं. कुछ राज्यों ने अहिंसा का समर्थन करते हुए कुछ दिनों के लिए मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.’ इसमें लिखा गया है, ‘हमारे अहिंसक व्यवहार का सार पिछले शुक्रवार को देखने को मिला जब भारत की यात्रा पर आये पाकिस्तानी रेंजर्स को गृह मंत्री ने बताया कि हमारा देश पहले गोली नहीं चलाएगा. पाकिस्तान को चाहे जितनी मर्जी गोली चलाने दो लेकिन हम गोली नहीं चलाएंगे.’
पार्टी ने आगे चुटकी ली है, पिछले शुक्रवार को बातचीत जारी रहने के बावजूद दो सैनिक केंद्र सरकार द्वारा समर्थित अहिंसा का शिकार हो गये. संपादकीय में कहा गया है, हालांकि महात्मा गांधी अहिंसा में विश्वास रखते थे लेकिन एक बार उन्हें अपने आश्रम में बंदरों को मारना पडा, एक पागल कुत्ते को मारना पडा और जब गुजरात में बरसाड तालुका में प्लेग फैला तो उन्हें लोगों को चूहों को मारने के बारे में सिखाना पडा.