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तीन साल के इंतजार के बाद व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी को मिला उत्तराखंड कैडर

नयी दिल्ली : स्थानांतरण के अनुरोध के लगभग तीन साल बाद व्हिसलब्लोअर और भारतीय वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को हरियाणा से उत्तराखंड कैडर में स्थानांतरित कर दिया गया है. अपने स्थानांतरण का अनुरोध करते हुए चतुर्वेदी ने कहा था कि भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण उन्हें ‘बेहद कठिनाई’ का सामना करना पड रहा है. चतुर्वेदी […]

नयी दिल्ली : स्थानांतरण के अनुरोध के लगभग तीन साल बाद व्हिसलब्लोअर और भारतीय वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को हरियाणा से उत्तराखंड कैडर में स्थानांतरित कर दिया गया है. अपने स्थानांतरण का अनुरोध करते हुए चतुर्वेदी ने कहा था कि भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण उन्हें ‘बेहद कठिनाई’ का सामना करना पड रहा है. चतुर्वेदी के नाम की घोषणा हाल ही में वर्ष 2015 के रेमन मेगसेसे पुरस्कार के विजेताओं में से एक विजेता के तौर पर की गयी थी. इसके अलावा वह पिछले साल अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटाये जाने पर भी चर्चा में रहे थे.

उन्हें इस शीर्ष संस्थान में कथित तौर पर भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर हटाया गया था. मुख्य सतर्कता अधिकारी मुख्य सतर्कता आयोग के सहयोगी के रूप में काम करता है. मई में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की ओर से उन्हें अपनी याचिका के आधार पर राहत मिल गयी थी. यह याचिका उन्होंने मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के उस आदेश के खिलाफ की थी, जिसमें उन्हें कैडर में बदलाव के लिए हरियाणा और उत्तराखंड सरकारों से नया अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए कहा गया था.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि एसीसी ने चतुर्वेदी के एक कैडर से दूसरे कैडर (हरियाणा से उत्तराखंड कैडर) में स्थानांतरण के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. चतुर्वेदी भारतीय वन सेवा के वर्ष 2002 के बैच के अधिकारी हैं. एम्स में उपसचिव के रूप में तैनात रह चुके चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें कोई काम नहीं सौंपा गया. उन्होंने बताया, ‘मैं कैट का शुक्रगुजार हूं. अच्छा होता यदि यह काम सरकार खुद ही कर देती और मुझे न्यायाधिकरण जाना ही न पडता.’

चतुर्वेदी ने बेहद मुश्किलों का हवाला देते हुए अक्तूबर 2012 में कैडर बदलने के लिए आवेदन किया था. नियमों के मुताबिक, कैडर स्थानांतरण की अनुमति बेहद कठिनाई और विवाह की स्थिति में ही दी जाती है. उन्होंने इस बेहद कठिनाई की वजह पांच साल में 12 स्थानांतरणों, निलंबन, सेवा से हटाने के लिए जारी दो बडे जुर्माना आरोपपत्रों, झूठे पुलिस और सतर्कता मामलों, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) बिगाडे जाने और राज्य सरकार द्वारा एम्स में केंद्रीय नियुक्ति के लिए मना किये जाने को बताया था.

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