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दो दिन में दूसरी बार पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने देश में निर्मित परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का दो दिन में दूसरी बार आज चांदीपुर स्थित परीक्षण केंद्र से सफल परीक्षण किया. यह 350 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल का परीक्षण अपराह्न करीब 12 […]

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने देश में निर्मित परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का दो दिन में दूसरी बार आज चांदीपुर स्थित परीक्षण केंद्र से सफल परीक्षण किया. यह 350 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है.

सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल का परीक्षण अपराह्न करीब 12 बजकर 20 मिनट पर एक मोबाइल लांचर के जरिए एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-3 से किया गया.

आईटीआर के निदेशक एमवीकेवी प्रसाद ने बताया, पृथ्वी-2 मिसाइल का आज का परीक्षण भी सफल है और इसने अपने सभी लक्ष्यों को हासिल कर लिया.

प्रसाद ने कहा कि आज का परीक्षण कल के अभ्यास जितना ही सटीक रहा.वैज्ञानिकों ने मिसाइल को निर्माण भंडार में से चुना और उसका परीक्षण किया. पूरी परीक्षण प्रक्रिया को विशेष रुप से गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा अंजाम दिया गया. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी अभ्यास कवायद के रुप में की.

प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपणपथ पर डीआरडीओ के रडार, इलेक्ट्रो-आप्टिकल निगरानी प्रणाली और ओडि़शा के तट पर स्थित टेलीमेटरी स्टेशनों की मदद से नजर रखी गई. प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपणपथ की निगरानी के लिए पारादीप, पुरी और अंडमान में विशेषज्ञों को तैनात किया गया था.

सूत्रों ने कहा, बंगाल की खाड़ी में तैनात एक पोत पर स्थित दलों ने इसके प्रदर्शन पर नजर रखी. सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2003 में भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया पृथ्वी-दो प्रक्षेपास्त्र का विकास डीआरडीओ द्वारा भारत के प्रतिष्ठित समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत किया गया है जो कि अब एक प्रमाणिक प्रौद्योगिकी है.

सूत्रों ने कहा, परीक्षण एसएफसी के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था जिसकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने की. सूत्रों ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण परीक्षणों से स्पष्ट रुप से किसी संभावित घटना से निपटने को लेकर भारत की तैयारी जाहिर होती है. इसके साथ ही यह भारत के सामरिक जखीरे की इस प्रतिरोधक प्रणाली की विश्वसनीयता स्थापित करता है.

पृथ्वी 500 किलोग्राम से एक हजार किलोग्राम तक आयुध ले जाने में सक्षम है तथा तरल ईंधन वाले दो इंजनों से संचालित होती है. इसमें सही पथ पर ले जाने के लिए एक उन्नत निर्देशित प्रणाली लगी हुई है.

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