छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल हो रहे निजी कंपनियों के मेल अकाउंट पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. इनमें याहू, जीमेल और रेडिफ मेल जैसी इमेल संदेश की सुविधा प्रदान करनेवाली सभी कंपनियां शामिल हैं. राज्य सरकार ने इसकी जगह अपनी एक नयी मेलिंग प्रणाली विकसित की है.
सरकारी दस्तावेजों का आदान-प्रदान अब इसी मेलिंग प्रणाली से होगा. इसके साथ ही देश में आइटी पॉलिसी लागू करनेवाला छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य हो गया है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पहले से ही ऐसी नीति प्रभावी है. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक नयी आइटी पॉलिसी जारी की है.
इसके तहत सरकारी मेलिंग प्रणाली से भेजे जानेवाले प्रत्येक दस्तावेज की कानूनी वैधता होगी, यानी किसी गलती पर संबंधित विभाग के खिलाफ क्षतिपूर्ति या फिर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी इमेल का इस्तेमाल करने से पहले इमेल नीति का पालन करने के लिए एक हलफनामा देना होगा. सरकारी दफ्तरों में इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी राज्य शासन की ओर से रोक लगाने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत सरकारी कार्यालयों में कार्यावधि के दौरान निजी लैपटॉप, मोबाइल पर भी इंटरनेट चलाये जाने की सारी जानकारी दर्ज की जायेगी. नयी आइटी पॉलिसी लागू होने से गोपनीय सूचनाओं के लीक होने का खतरा नहीं होगा और सरकारी दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे.
दस्तावेजों को संरक्षित रखने की समयावधि निर्धारित रहने से और भी मदद मिलेगी. इससे सरकारी दस्तावेज अब अनधिकृत व्यक्तियों तक नहीं पहुंच सकेगा. इसमें मूल जानकारियों को संरिक्षत करने और रिकॉर्ड को ऑडिट करने जैसी सुविधा भी मिल सकेगी. प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अमन सिंह ने बताया कि आइटी पॉलिसी को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.