चेन्नई:तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने राज्यों के पिछड़ेपन के निर्धारण और उनको संसाधनों के आवंटन का नया फामरूला सुझाने वाली रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि इस रपट में आवंटन का तरीका सममित नहीं है और रपट ‘‘संभावित राजनीतिक सहयोगियों को संसाधन उपलब्ध कराने की एक झीने आवरण में ढंकी बौद्धिक चाल है.’’
जयललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक अक्तूबर, 2013 को लिखे एक पत्र में कहा है, ‘‘ समिति के गठन की पृष्ठभूमि, बिहार सरकार की ‘विशेष दर्जा’ की बार बार मांग है जिससे उसे अधिक धन उपलब्ध कराया जा सके और वह उससे विकास के पिछड़ेपन को दूर कर सके.’’ मुख्यमंत्री जयललिता का यह पत्र राज्य सरकार द्वारा आज जारी किया गया.जयललिता ने इसमें कहा है कि इस रपट में सुझाए गए ‘राज्यों का सम्पूर्ण विकास सूचकांक’ का तरीका ठीक नहीं है. इसमें विकास के कई महत्वपूर्ण आयामों जैसे प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता और राज्यों के कार्य निष्पादन के संकेतक आदि को छोड़ दिया गया है. यह रिपोर्ट वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सौंपी गई.
जयललिता ने कहा, ‘‘ समिति ने जिस प्रकार से पूरी तरह से असंतुलित आबंटन फामरूले की सिफारिश की है उससे वे राज्य एक तरह से बुरी तरह दंडित होंगे जिन्होंने विकास एवं कल्या के राष्ट्रीय लक्ष्यों की दिशा में लगातार अच्छा काम किया है. ’’ जयलिता की राय में इसमें संसाधनों के आबंटन को लेकर उन राज्यों की ओर झुकाव है जिनका कार्यनिष्पादन निष्पादन ऐतिहासिक तौर पर कमजोर रहा है.’’ उन्होंने कहा कि प्रस्तावित फामरूले से वे राज्य बुरी तरह प्रभावित होंगे जो अपेक्षाकृत बड़े हैं और जिन्होंने अपने खुद के प्रयासों से पिछले कई दशकों से लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है.