नयी दिल्ली: भाजपा ने आज कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय एकता परिषद :एनआईसी: की बैठक मुजफ्फरनगर और किश्तवाड़ में सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में हुयी थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर चर्चा की गयी और इस बात की कोशिश की गयी कि हिंसा को किस प्रकार नरेंद्र मोदी के साथ जोड़ा जाए.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली का एक लेख भाजपा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है. इसमें जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के एजेंडा में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद की सांप्रदायिक स्थिति, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति शामिल थे. लेकिन बैठक में देश की सांप्रदायिक तनाव की स्थिति के बारे में पर्याप्त विचार विमर्श नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पूरी दिलचस्पी दंगों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने और साजिश खोजने में थी. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाने पर ज्यादा ध्यान दिया. उन्होंेने कहां गड़बड़ी हुयी, इसका विश्लेषण करने के बजाए आरोपों को प्रमुखता देने पर अपना ध्यान केंद्रित किया.