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सांप्रदायिक तनाव के लिए वोट बैंक की राजनीति जिम्मेवार

नयी दिल्ली : सांप्रदायिक उन्माद के लिए वोट बैंक की राजनीति को प्रमुख कारक बताते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि एक ग्रुप या संगठन को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए और उसे ऐसे उदाहरणों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. चौहान ने साइबर आतंकवाद और […]

नयी दिल्ली : सांप्रदायिक उन्माद के लिए वोट बैंक की राजनीति को प्रमुख कारक बताते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि एक ग्रुप या संगठन को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए और उसे ऐसे उदाहरणों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.

चौहान ने साइबर आतंकवाद और सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से अपराध के फैलाव पर भी चिंता जताई और इस बुराई पर रोक लगाने के लिए कारगर कानून की वकालत की. उन्होंने यहां राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में अपने भाषण में कहा, हमारी राय है कि न्याय सबके लिए है. प्रत्येक के लिए अवसर है और किसी के लिए मनाही नहीं है. हमारी दृष्टि स्पष्ट है. हमारा मानना है कि सांप्रदायिकता के तत्कालिक उन्माद की जड़ में वोट बैंक की राजनीति है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान किसी खास संगठन या ग्रुप पर दोष मढ कर और उसे अन्य की असफलता के लिए बलि का बकरा बनाकर नहीं ढूंढा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मौके पर मौजूद अधिकारियों को काम करने के लिए खुली छूट होनी चाहिए और उन्हें किसी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाकर रखा जाना चाहिए.चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का परोक्ष रुप से उल्लेख करते हुए कहा कि बयानों के विपरित भाजपा शासित राज्यों में पिछले एक दशक में दंगों की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.

चौहान ने कहा कि चूंकि इंटरनेट, फेसबुक, ई चैट, व्हाट्सएप्प और अन्य साधनों पर सूचनाओं का आदान प्रदान काफी तेज गति से होता है और इस पर किसी का नियंत्रण नहीं होता, अपराधी तत्वों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है.उन्होंने कहा कि भड़काने वाले वीडियो और थोक में एसएमएस का बिजली की गति से फैलाव होता है और इसमें किसी राज्य या देश की सीमा का भी बंधन नहीं रहता. इस साइबर युग में इस पर कैसे रोक लगायी जाये यह एक चुनौती है.

मध्य प्रदेश में दो बार से मुख्यमंत्री रहे चौहान ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाने पर गौर करने की बजाय ऐसे शरारती संदेशों और वीडियो पर रोक लगाने के लिए कारगर तंत्र स्थापित करने के काम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. चौहान ने मध्य प्रदेश विधानसभा से पारित संगठित अपराध निरोधी विधेयक को जल्द मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप करने की मांग की.

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