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बाल श्रम कानून, 1986 में संशोधनों को लेकर विशेषज्ञ चिंतित

कोलकाता : बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून-1986 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर एक गैर सरकारी संगठन ने चिंता जताई है. संगठन ने कहा है कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कोई शर्त नहीं हो सकती. ‘सेव द चिल्ड्रन’ के पश्चिम बंगाल के कार्यक्रम प्रबंधक चित्तप्रिय साधू ने यहां कहा, ‘बाल श्रम कानून में […]

कोलकाता : बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून-1986 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर एक गैर सरकारी संगठन ने चिंता जताई है. संगठन ने कहा है कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कोई शर्त नहीं हो सकती. ‘सेव द चिल्ड्रन’ के पश्चिम बंगाल के कार्यक्रम प्रबंधक चित्तप्रिय साधू ने यहां कहा, ‘बाल श्रम कानून में संशोधन का स्वागत है, लेकिन हम इसके कुछ पहलुओं से सहमत नहीं हैं. प्रस्तावित संशोधन में थोडी सी छूट दी गई है जिसमें कहा गया है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे परिवार आधारित व्यवसाय और मनोरंजन क्षेत्र में काम कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम कहना चाहेंगे कि बाल अधिकारों के लिए कोई शर्त नहीं हो सकती. उनके अधिकार बिना किसी शर्त के सुनिश्चित होने चाहिए.’ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 13 मई को बाल श्रम कानून-1986 में एक संशोधन को मंजूरी दे दी थी जिसमें 14 साल से उपर के बच्चों को परिवार द्वारा संचालित गैर-खतरनाक उद्योग में काम करने की अनुमति दी गई है. साधू ने कहा, ‘बाल अधिकार संगठन के सदस्य के रूप में मेरा हमेशा से मानना रहा है कि बाल अधिकारों पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.

किसी भी बच्चे को शिक्षा का अधिकार है, अपने माता-पिता के साथ रहने का अधिकार है और उन अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए.’ बहरहाल, उन्होंने प्रस्तावित संशोधन की कुछ विशेषताओं की सराहना की. साधू ने कहा, ‘इस प्रस्तावित संशोधन में कुछ अच्छे पहलू भी हैं. आज तक बाल श्रम कानून-1986 के तहत खतरनाक व्यवसायों में 14 साल की उम्र तक के बच्चों के काम करने पर प्रतिबंध रहा है.

लेकिन प्रस्तावित संशोधन विधेयक में 15 से 18 साल की उम्र तक के बच्चों को भी किशोर समूह बताकर शामिल किया गया है. यह एक अच्छा संकेत है.’ उन्होंने कहा कि एक और प्रस्तावित नियम है जिसके तहत राज्य सरकार मुक्त कराये गये बच्चों के पुनर्वास के लिए अतिरिक्त धन (बाल एवं किशोर पुनर्वास कोष) मुहैया कराएगी. पश्चिम बंगाल श्रम विभाग की उपायुक्त मनीषा भट्टाचार्य ने कहा, ‘यह अभी अधिसूचित नहीं है. इस समय हमारे पास संशोधन विधेयक पर ज्यादा जानकारी नहीं है और इस पर बात नहीं करना चाहेंगे.’

इस बीच, ‘सेव द चिल्ड्रन’ ने गरीबी उन्मूलन और सामाजिक भेदभाव खत्म करने के सरकार के वायदे के प्रति उसे जवाबदेह बनाने के लिए पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया है. उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बेहतर विश्व के प्रति संकल्पबद्ध होने की अपील के साथ 25 हजार पोस्टकार्ड भेजेंगे.’

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