नयी दिल्ली : अयोध्या में विहिप की चौरासी कोसी यात्रा पर रोक को जायज ठहराते हुए प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी ने आज जहां इसे उच्चतम न्यायालय के कानून का अनुपालन बताया तो वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए प्रदेश सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग की.
इस मुद्दे को लेकर हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद 12 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरु होने पर फिर से यह मामला उठा. सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने उच्चतम न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं विभिन्न अन्य अदालतों के फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार केवल अदालत के आदेशों का पालन कर रही है जिनमें शीर्ष अदालत ने अयोध्या में यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया है.
उन्होंने भाजपा के प्रति आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि ये लोग न तो न्यायपालिका को मानते हैं और न ही संविधान को और राजनीतिक लाभ के लिए मनमानी करते हैं.मुलायम सिंह ने दावा किया कि अयोध्या में चौरासी कोसी यात्रा को रोकने में किसी तरह का बलप्रयोग नहीं किया गया है. उन्होंने भाजपा के इन आरोपों को गलत बताया कि संतों पर लाठियां चलायी गयीं.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में कुछ संतों ने भी बैठक करके इस यात्रा की निंदा की है और विहिप की यात्रा का न तो संतों ने और न ही जनता ने साथ दिया. भाजपा पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पास कोई मुद्दा नहीं रह गया है और ये लोगों के बीच तनाव पैदा करके वोट की राजनीति के लिए यह सब कर रही है.
उधर, भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने सपा नेता पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विशुद्ध धार्मिक यात्रा थी जिसका राजनीति से कुछ लेना देना नहीं था. उन्होंने कहा कि यह धार्मिक यात्रा रोक कर उप्र सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन किया है जिसके लिए उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए.
सपा नेता मुलायम सिंह ने कहा कि सचाई यह है कि भाजपा और विहिप की लाख कोशिशों के बाद भी जनता ने इस यात्रा का साथ नहीं दिया और यात्रा में शामिल होने के लिए एक व्यक्ति भी नहीं आया.उन्होंने कहा कि मुद्दाविहीन भाजपा की हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो गयी है.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में शांति है और इसे बनाये रखने में प्रदेश की जनता और पुलिस प्रशासन, दोनों ने अच्छा काम किया है जिसके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं.योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विवादित स्थल रामजन्म भूमि है. अत: सरकार को चाहिए कि वह कानून बनाकर वहां राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे.
उन्होंने कहा कि यह तत्कालीन कांग्रेस सरकार ही थी जिसने अदालत में शपथपत्र दिया था कि अगर विवादित स्थल पर मंदिर होने के सबूत मिले तो वहां मंदिर बनाया जायेगा.
सपा पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह राजनीति की खातिर लोगों को आपस में लड़ाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि वह आतंकवादियों के खिलाफ दायर मुकदमों को वापस ले रही है , सरकारी जमीनों को कब्रिस्तानों के लिए आवंटित कर रही है और हिंदुओं को अपमानित कर रही है.
उन्होंने कहा कि सपा शासन में एक साल में अब तक 30 से अधिक दंगे हो चुके हैं. दूसरी ओर, हिंदुओं को प्रताडि़त किया जा रहा है और प्रदेश में पूरी तरह जंगल राज है.
इसके बाद शून्यकाल शुरु होने पर अन्य सदस्यों द्वारा कुछ मुद्दे रखे जाने के बाद जदयू नेता शरद यादव ने पुन: इस मामले को उठाया और कहा कि कानून का राज होना चाहिए. सब तरह की आजादी होनी चाहिए लेकिन आजादी का मतलब यह नहीं कि बाकी लोगों की जिंदगी तबाही में फंस जाये.
इसके बाद उन्होंने विश्व हिंदू परिषद पर कुछ टिप्पणी की जिसका भाजपा सदस्यों ने कड़ा प्रतिवाद किया. जदयू और भाजपा सदस्यों के बीच इस बात को लेकर तकरार शुरु हुई और दोनों दलों के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो गए.
हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से करीब आधा घंटा पहले ही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
वहीं, भाजपा के गणेश सिंह समेत अन्य सदस्यों ने उत्तरप्रदेश में सपा के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने की मांग की.